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श्रीराम की नगरी अयोध्या का धार्मिक महत्व

 

आपको बता दें कि अयोध्या को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता हैं यह प्रभु श्री राम की नगरी हैं वही स्कंद पुराण में अयोध्या को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की ही पवित्र स्थली कहा गया हैं हिंदू धर्म पुराणों के मुताबिक अयोध्या नगरी भगवान श्री विष्णु के सुदर्शन चक्र पर बसी हैं। महाकवि महर्षि वाल्मीकि ने भी महाकाव्य रामायण में अयोध्या को सरयू नदी के तट पर बसी पवित्र नगरी बताया हैं। अयोध्या देश के सभी पवित्र शहरों में से एक माना जाता हैं। अथर्ववेद में अयोध्या शहर को देवताओं का स्वर्ग माना जाता हैं।

वही धार्मिक दृष्टि से एक कथा प्रचलित हैं कि अयोध्या के महाराज विक्रमादित्य भम्रण करते हुए संयोगवश सरयू नदी के किनारे पहुंचे थे तब महाराज विक्रमादित्य को अयोध्या की भूमि में कुछ चमत्कार दिखाई पड़ा और आस पास के योगी संतो ने उनको बताया कि यह श्री अवध भूमि हैं तभी महाराज ने यहां पर मंदिर, सरोवर, कूप आदि बनवाए। कहा जाता हैं कि श्री राम जी के साथ अयोध्या के कीट पतंगे तक उनके दिव्य धाम में चले आए थे जिस वजह से अयोध्या नगरी त्रेता युग में ही उजड़ गई थी। तब प्रभु श्रीराम पुत्र कुश ने ही राम का नाम लेकर अयोध्या नगरी को बसाया था। वही ऐसा भी कहा जाता हैं कि अयोध्या नगरी में बना एक सीता कुंड हैं, जिसमें स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता हैं और जो मनुष्य अयोध्या में स्नान, जप, तप, हवन, दान, दर्शन,ध्यान आदि करता हैं वह सब पुण्यों का भागीदार होता हैं भारत देश की सभी प्राचीन सांस्कृतिक सप्तपुरियों में अयोध्या का प्रथम स्थान हैं और श्रीराम जी की अवताय भूमि होने के बाद अयोध्या को साकेत नगरी भी कहा जाता हैं।

स्कंद पुराण में अयोध्या को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की ही पवित्र स्थली कहा गया हैं हिंदू धर्म पुराणों के मुताबिक अयोध्या नगरी भगवान श्री विष्णु के सुदर्शन चक्र पर बसी हैं। महाकवि महर्षि वाल्मीकि ने भी महाकाव्य रामायण में अयोध्या को सरयू नदी के तट पर बसी पवित्र नगरी बताया हैं। अयोध्या देश के सभी पवित्र शहरों में से एक माना जाता हैं। श्रीराम की नगरी अयोध्या का धार्मिक महत्व