×

कुंभ के समाप्त होते ही कहां गायब हो जाते हैं नागा साधु

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: कुंभ का नाम तो सभी ने सुना ही होगा। यह धार्मिक आस्था का महापर्व माना जाता है जो अपनी प्राचीन परम्पराओं के लिए दुनिया भर में जाना जाता है कुंभ का मेला 12 वर्षों के अन्तराल में आयोजित होता है आपको बता दें कि कुंभ मेले में बड़ी संख्या में आम जनों के साथ साथ साधु सन्यासी भी आते है

आस्था के इस महापर्व में नागा साधु भी पहुंचते है कुंभ मेले में तो नागा साधु खूब दिखाई देते है लेकिन इसके बाद वे कहां गायब हो जाते है यह बहुत कम ही लोगों को पता होगा, अगर आप भी जानना चाहते है कि कुंभ के बाद नागा साधु कहा जाता है तो आज का हमारा ये लेख आपको पूरा पढ़ना होगा। 

जानिएं ​आखिरी कुंभ के बाद कहां जाते है नागा साधु—
ऐसा कहा जाता है कि कुंभ मेले के समापन के बाद अधिकतर साधु सन्यासी अपने शरीर पर भभूत लपेट कर हिमालय की चोटियों के बीच चले जाते है और यहां अपने गुरु स्थान वे अगले कुंभ तक कठोर तपस्या करते है। माना जाता है कि ये नागा साधु घने जंगलों के मार्ग से यात्रा करते है और इनकी यात्र का आरंभ अधिक रात्रि से होता है जब दुनियाभर के लोग सो रहे होते है तब ये नागा साधु यात्रा को निकलते है। कहा जाता है कि आमजनों से इनका आमना सामना न हो इसलिए ये नागा साधु यात्रा के समय किसी गांव या नगर व शहद में नहीं रुकते है बल्कि जंगल और वीरान मार्ग में ही विश्राम के लिए डेरा जमाते है

यही कारण है कि नागा साधु किसी को आते जाते वक्त नजर नहीं आते है ऐसा माना जाता है सभी नागा साधु झुण्ड में नहीं निकलते है बल्कि कुछ अकेले ही यात्रा करते है वे रात्रि के समय अपनी यात्रा को आरंभ करते है और दिन के समय जंगल में विश्राम करते है कहते है कि नागा साधु अपनी यात्रा के दौरान केवल कंदमूल, जड़ी बूटियों, फल पत्तियों का ही सेवन करते है वैसे तो ये लोग अधिक सोते नहीं है लेकिन अगर विश्राम करना भी होता है तो ये किसी प्रकार के कृत्रिम बिस्तर का प्रयोग नहीं करते है बल्कि सीधा जमीन पर ही विश्राम कर लेते है इनके बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि नागा साधु हमेशा एक स्थान पर नहीं टिकते है बल्कि अपनी जगह को बदलते रहते है।