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कई चमत्कारों से भरा है एरावतेश्वर मंदिर, आज भी सीढि़यों से गूंजते हैं संगीत के सुर

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्कः शिव का प्रिय मास चल रहा है ये महीना भोलेबाबा की पूजा आराधना को समर्पित है इस महीने शिव शंकर की पूजा करने से भक्तों को सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है ऐसे में आज हम आपको तमिलनाडु में कुंभकोणम के पास दारासुरम में स्थिति एरावतेश्वर शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे है एरावतेश्वर मंदिर, यूनेस्को दवारा वैश्विक धरोहर घोषित किया गया है

आपको बता दें कि ये एक हिंदू मंदिर है जिसे दक्षिणी भारत में करीब 12वीं सदी में बनाया गया था यह मंदिर भोलेनाथ को समर्पित है यहां पर भोलेबाबा को एरावतेश्वर के रूप में पजा जाता है बता दें कि इस मंदिर में देवताओं के राजा इंद्र के सफेद हाथी एरावत दवारा भगवान भोलेना की पूजा की गई थी इसी कारण इस पवित्र स्थल का नाम एरावतेश्वर पड़ा था। इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां पर सीढि़यों से संगीत की धुन आज भी निकलती है इसकी यही खासियत इस मंदिर को और सभी मंदिरों से अलग बनाती है 

एरावतेश्वर मंदिर का न केवल धार्मिक महत्व होता है बल्कि ये प्राचीन वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है इस मंदिर की आकृति और दीवारों पर उकरे गए चित्र लोगों को बहुत आकर्षित करते हैं इस मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया है इस मंदिर में आपको रथ की संरचना भी दिखाई पड़ जाएगी और वैदिक व पौराणिक देवता इंद्र, आग, वरुण, ब्रहमा, सूर्य, श्री विष्णु, सप्तमत्रिक, दुर्गा, सरस्वती, मां लक्ष्मी, गंगा, यमुना के चित्र भी आपको इस पवित्र स्थाल पर देखने को मिलेंगे।

एरावतेश्वर मंदिर की सबसे मुख्य खासियत यहां की सीढि़यां मानी जाती है मंदिर के एंट्री गेट पर एक पत्थर की सीढ़ी का निर्माण किया गया है जिसके हर कदम पर अलग अलग ध्वनि निकलती रहती है इन सीढि़यों के माध्यम से आप आप संगीत के सातों सुर सुनाई दे जाते हैं आपको बता दें कि अगर आप सी मंदिर की सीढि़यों पर चलेंगे तब भी आपको धुन सुनने को मिल जाएगा।