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Pauranik katha: जब भगवान विष्णु को मिला सुदर्शन चक्र, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा

 

मलमास का महीना चल रहा है इस माह के देवता भगवान श्री हरि विष्णु को माना गया हैं तो आज हम आपको भगवान विष्णु से जुड़ी एक विशेष कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। प्राचीन काल मं राक्षसों का अत्याचार इतना अधिक बढ़ गया था कि धार्मिक कार्यों को पूरा करना बहुत मुश्किल था। पूरी पृथ्वी पर राक्षसों ने हाहाकार मचा रखा है।

पृथ्वी लोक के साथ साथ राक्षस स्वर्ग पर भी अपना अधिपत्या स्थापित करना चाहते थे। इस समस्या को लेकर देवराज इंद्र समस्य देवगणों के साथ भगवान विष्णु के पास गए। उन्होंने कहा, “हे प्रभु! आप हमें राक्षसों के प्रकोप से मुक्ति दीजिए। इस पर श्री विष्णु ने कहा कि इस समस्या का निदान केवल भगवान शिव ही कर सकते हैं।

vishnu and laxmi

भगवान विष्णु ने शिव की तपस्या की जिससे राक्षसों का विनाश हो सके। विष्णु जी ने हिमालय की बफीली पहाड़ियों पर तपस्या शुरू की। शिव जी के नाम का जाप हजारों बार किया। उन्होंने संकल्प किया कि वो हर नाम के साथ एक कमल का पुष्प अर्पित करेंगे। इस पर शिव ने विष्णु की परीक्षा लेने के बारे में विचार किया। भगवान विष्णु ने एक हजार पुष्पों में से एक पुष्प हटा दिया। की परीक्षा लेने के लिए शिव ने एक हजार कमल के पुष्पों में से एक फूल गायब कर दिया। तपस्या में लीन विष्णु को इस बात का अंदाजा नहीं लगा। विष्णु जी ने अपनी अपस्या जारी रखी। वो नाम जपते और एक फूल चढ़ाने लगे। जब आखिरी नाम लिया तो विष्णु जी ने देखा कि उनके पास एक भी कमल नहीं बचा हैं अगर वो कमल नही चढ़ाएंगे तो उनका संकल्प भंग हो जाएगा। ऐसे में विष्णु ने कमल की जगह अपनी एक आंख अर्पित कर दी।

भगवान विष्णु का भक्ति भाव देख शिव बहुत प्रसन्न हुए। वो विष्णु के सामने प्रकट हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। विष्णु ने राक्षसों का संहार करने के लिए शिव जी से अजय शस्त्र मांगा। तब उन्होंने विष्णु जी को सुदर्शन चक्र दिया। इस चक्र से ही विष्णु ने राक्षसों को मार गिराया। इसी तरह विष्णु को सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ।