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सिर्फ आध्यात्मिक ही नहीं स्वास्थ्य वर्धक भी है श्री गणेशाष्टकम् स्तोत्रम का पाठ, जाने कैसे दिलाता है तनाव-अनिद्रा जैसी समस्याओं से निजात 

 

भारत की प्राचीन संस्कृति में स्तोत्र पाठ का विशेष महत्व रहा है। यह न केवल ईश्वर की आराधना का माध्यम है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ करता है। ऐसे ही एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र का नाम है "श्री गणेशाष्टकम् स्तोत्रम", जिसे भगवान गणेश की स्तुति में रचा गया है। यह केवल भक्तिभाव से ओतप्रोत एक मंत्रसंग्रह नहीं है, बल्कि इसके पाठ से जुड़े हैं आध्यात्मिक शांति, मानसिक स्थिरता और स्वास्थ्य के कई गहरे रहस्य।

<a href=https://youtube.com/embed/AQHjMP0_Q70?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/AQHjMP0_Q70/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="श्री गणेशाष्टकम् | Shri Ganesh Ashtakam | पंडित श्रवण कुमार शर्मा द्वारा | Ganeshashtak Hindi Lyrics" width="695">
क्या है श्री गणेशाष्टकम् स्तोत्रम?
श्री गणेशाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश की आठ विशेषताओं या रूपों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र मुख्यतः विद्यारम्भ, किसी नए कार्य की शुरुआत या बाधा निवारण हेतु पढ़ा जाता है। इसमें श्री गणेश के रूप, गुण, करुणा और शक्तियों का वर्णन बड़े ही सुंदर और गूढ़ poetic ढंग से किया गया है।

आध्यात्मिक लाभ
बुद्धि और स्मरण शक्ति में वृद्धि:

गणपति को "बुद्धि के दाता" कहा जाता है। श्री गणेशाष्टकम् का नियमित जाप विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह स्तोत्र मस्तिष्क की एकाग्रता और स्मृति क्षमता को मजबूत करता है।

बाधाओं का नाश:
'विघ्नहर्ता' कहलाने वाले गणेश जी की कृपा से जीवन में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं। जो व्यक्ति इस स्तोत्र का नियमित पाठ करता है, उसकी राह की रुकावटें स्वतः समाप्त होने लगती हैं।

नवीन कार्यों में सफलता:
किसी नए कार्य, यात्रा, व्यवसाय या परीक्षा की शुरुआत से पहले श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करने से मनोबल बढ़ता है और कार्यों में सफलता मिलती है।

कुलदेवता का स्मरण:
भारत के कई परिवारों में गणेश जी को कुलदेवता माना गया है। इस स्तोत्र के माध्यम से कुल परंपरा की रक्षा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव
यह सुनने में भले ही आध्यात्मिक लगे, परंतु वैज्ञानिक शोध और योग-चिकित्सा भी मानती है कि नियमित स्तोत्र पाठ हमारे शरीर और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालता है।

श्वास-प्रश्वास की गति नियंत्रित:
जब कोई व्यक्ति शुद्ध उच्चारण के साथ श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करता है, तो उसका श्वासक्रम नियंत्रित होता है। इससे फेफड़े मजबूत होते हैं और ऑक्सीजन का बेहतर संचार होता है।

तनाव और चिंता में राहत:
यह स्तोत्र एक विशिष्ट ध्वनि तरंग (sound frequency) उत्पन्न करता है जो दिमाग को शांत करती है। इससे कोर्टिसोल जैसे तनावजन्य हार्मोन का स्तर घटता है और व्यक्ति अधिक शांत एवं संतुलित महसूस करता है।

मनोचिकित्सकीय लाभ:
मानसिक रोगों जैसे अवसाद, बेचैनी या घबराहट की स्थिति में श्री गणेशाष्टकम् का प्रभावी पाठ मानसिक स्फूर्ति और ऊर्जा प्रदान करता है। यह आत्मबल को बढ़ाता है और नकारात्मक विचारों को कम करता है।

नींद में सुधार:
जो लोग अनिद्रा या बेचैनी से पीड़ित हैं, उन्हें यह स्तोत्र सोने से पहले पढ़ना चाहिए। इसकी लयबद्ध ध्वनि मस्तिष्क में अल्फा वेव्स उत्पन्न करती है, जो गहरी नींद को प्रेरित करती है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण
आधुनिक विज्ञान के अनुसार जब हम कोई मंत्र या स्तोत्र विशेष उच्चारण और ताल में पढ़ते हैं, तो यह शरीर की कोशिकाओं पर कंपन (vibration) उत्पन्न करता है। यह कंपन ना केवल मानसिक ऊर्जा को जाग्रत करता है, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। श्री गणेशाष्टकम् स्तोत्रम में प्रयुक्त मंत्रध्वनियाँ शरीर के ‘थायरॉइड ग्लैंड’ और 'हाइपोथैलेमस' जैसे हिस्सों को सक्रिय करती हैं।

सामाजिक और पारिवारिक शांति
श्री गणेशाष्टकम् न केवल व्यक्ति विशेष के लिए, बल्कि पूरे परिवार और समाज के लिए भी कल्याणकारी है। घर में यदि कोई प्रतिदिन इसका पाठ करता है, तो वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पारिवारिक कलह, असमंजस और नकारात्मकता स्वतः ही दूर हो जाती है।