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सिर्फ श्री गणेशाष्टकम् ही नहीं, श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् का नियमित पाठ भी बदल सकता है किस्मत, वीडियो में जानिए सावन में इसका धार्मिक महत्व

 

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को "विघ्नहर्ता", "सिद्धिदाता" और "प्रथम पूज्य" कहा गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश वंदना से ही होती है। खासतौर पर सावन माह में, जब धार्मिक ऊर्जा अपने चरम पर होती है, तब श्री गणेश की उपासना का महत्व और भी बढ़ जाता है। अधिकतर लोग श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि "श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्" का नियमित जाप भी जीवन की दिशा बदल सकता है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/wZF27yK0p68?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/wZF27yK0p68/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् | Ganesh Dwadashanaam Stotram | पंडित श्रवण कुमार शर्मा द्वारा" width="1250">
क्या है श्री गणेशाष्टकम् और श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्?

"श्री गणेशाष्टकम्" संस्कृत में रचित एक सुंदर स्तुति है जिसमें भगवान गणेश के आठ प्रमुख रूपों का गुणगान किया गया है। यह पाठ भक्त के जीवन में आने वाले विघ्नों को दूर करता है और शुभ फल प्रदान करता है।वहीं दूसरी ओर, "श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्" में भगवान गणेश के बारह शक्तिशाली नामों का उल्लेख है — जैसे सुमुख, एकदंत, कपिल, गजवक्त्र, विघ्नराज आदि। इन नामों का स्मरण मात्र ही नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और जीवन में स्थायित्व और समृद्धि लाता है।

सावन में क्यों विशेष मानी जाती है गणेश स्तुति?
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और गणेशजी को शिव-पार्वती का पुत्र माना गया है। ऐसे में इस मास में भगवान गणेश की स्तुति करने से शिव कृपा भी सहज रूप से प्राप्त होती है। मान्यता है कि सावन में किया गया श्री गणेशाष्टकम् और गणपति द्वादश नाम का पाठ भक्त के सारे संकट हर लेता है और इच्छित फल प्रदान करता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बदल सकती है किस्मत
पुराणों में उल्लेख है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन श्रद्धा और नियम से "श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्" का पाठ करता है, उसकी बुद्धि प्रखर होती है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और उसके जीवन से विघ्न धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से छात्रों, नौकरीपेशा व्यक्तियों और व्यापारियों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

विज्ञान और ऊर्जा का भी है संबंध
धार्मिक मान्यता के साथ-साथ ध्वनि विज्ञान भी गणपति स्तोत्रों की शक्ति को स्वीकार करता है। संस्कृत मंत्रों की उच्चारण तरंगें मस्तिष्क की तरंगों को संतुलित करती हैं, जिससे चिंता, भय और अनिर्णय जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। नियमित जाप से व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता है और उसका आत्मबल बढ़ता है।

कैसे करें इन स्तोत्रों का पाठ?
सुबह स्नान के बाद शांत चित्त होकर भगवान गणेश के चित्र या मूर्ति के समक्ष बैठें।
पहले श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करें और फिर श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् का 3 बार जाप करें।
यदि समय न हो, तो केवल 5 मिनट निकालकर गणपति के बारह नामों का श्रद्धापूर्वक उच्चारण करें।