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जानिए, भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी से जुड़ा हुआ ये रहस्य

 

जयपुर। वैसे तो हम सभी ने बांसुरी के बारे सुना है व देखा है। बासुरी का संबंध भगवान कृष्ण से है इस बारे में हम सभी जानते हैं। भगवान कृष्ण को बासुरी अत्यंत प्रिय है वे बासुरी बजाते थे जिसकी धुन को सुनकर सभी मोहित हो जाते थे। वैसे भी हम सभी जानते है बांसुरी बजाने से जो मधुर आवाज़ निकलती है इसका कोई जवाब ही नहीं है। लेकिन भगवान श्री कृष्ण की अत्यंत प्रिय बांसुरी के बारे में आप जानते हैं कि ये कहां से आई है। अगर नहीं जानते तो आज इस लेख में हम इस बारे में बता रहें हैं।

बांसुरी का अस्तित्व तब आया जब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, उस समय देवी-देवता वेश बदलकर कृष्ण की बाल लीला को देखते थें। उस समय एक बार भगवान शिवजी भी कृष्ण से मिलने धरती पर आने की सोच रहें थे।

परन्तु, वह यह सोच कर कुछ क्षण के लिए रुके की यदि वे श्री कृष्ण से मिलने जा रहे तो उन्हें क्या उपहार दिया जाए। भगवान शिव इस सोच से परेशान होने लगे कि कौन सा उपहार भगवान कृष्ण के दें जिसे वह हमेशा अपने साथ रखें।

उस समय भगवान शिव को याद आया कि उनके पास ऋषि दधीचि की शक्तिशाली हड्डी हैं। ऋषि दधीचि ने धर्म के लिए अपने शरीर का त्याग कर अपनी हड्डियों का दान किया था। भगवान शिव ने उस हड्डी को घिसकर एक सुन्दर ध्वनी वाली बांसुरी का निर्माण किया। जब शिव भगवान श्री कृष्ण से मिलें उस समय भगवान शिव ने कृष्ण को भेट स्वरूप बांसुरी दी। उस समय से हमेशा कृष्ण के पास बांसुरी रहती है व बांसुरी कृष्ण को बेहद प्रिय भी है।