सावन में शिव चालीसा का पाठ करने से पहले जान लें ये 7 अहम नियम, नहीं तो भक्ति के बजाय मिल सकता है दोष
सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस माह में भक्त जलाभिषेक, व्रत, रुद्राभिषेक और शिव चालीसा का पाठ कर भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। शिव चालीसा, भगवान शिव की 40 चौपाइयों में वर्णित स्तुति है, जिसे श्रद्धापूर्वक पढ़ने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हालांकि, बहुत से भक्त अनजाने में पाठ के दौरान कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिससे उनका पुण्य भी संकट में पड़ सकता है।इस लेख में हम आपको बता रहे हैं सावन में शिव चालीसा का पाठ करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और कौन-सी गलतियां नहीं करनी चाहिए।
1. शिव चालीसा पढ़ने से पहले शुद्धता का रखें ध्यान
शिव चालीसा का पाठ करते समय शरीर और मन दोनों की शुद्धता अनिवार्य होती है। सुबह स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर ही शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। गंदे वस्त्र या बिना स्नान के पाठ करना अपवित्रता माना जाता है, जिससे पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।
2. पाठ से पहले शिवलिंग का पूजन और दीप प्रज्वलन करें
कई लोग जल्दबाजी में सीधे शिव चालीसा पढ़ने लगते हैं, जो एक त्रुटि है। पहले शिवलिंग का जल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करें, फिर फूल, बेलपत्र, भस्म, धूप-दीप से पूजन करें। इसके बाद ही शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। यह प्रक्रिया शिवजी को अत्यंत प्रिय है और पाठ का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
3. शिव चालीसा पढ़ते समय उच्चारण में लापरवाही न करें
शिव चालीसा संस्कृत और अवधी मिश्रित भाषा में रचित है। पाठ के दौरान यदि उच्चारण में बार-बार गलती होती है, तो इसका अर्थ और प्रभाव दोनों ही प्रभावित होते हैं। इसलिए चालीसा को समझकर, शुद्ध उच्चारण के साथ, धीरे-धीरे पढ़ें। मन में जल्दबाजी न हो, वरना पाठ में दोष माना जाता है।
4. शिव चालीसा को बैठकर ही पढ़ें
पाठ करते समय कई लोग चलते-फिरते या किसी अन्य कार्य में लगे रहते हैं, जो पूरी तरह अनुचित है। चालीसा का पाठ शांत वातावरण में किसी पवित्र स्थान पर बैठकर करना चाहिए। हो सके तो पूजा स्थान या मंदिर में आसन लगाकर बैठें और पाठ करें।
5. पाठ के दौरान मन को भटकने न दें
शिव चालीसा का पाठ केवल शब्दों का उच्चारण नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक और आध्यात्मिक जुड़ाव है। यदि पाठ करते समय मन इधर-उधर भटके, तो उसका प्रभाव घट जाता है। हर चौपाई पर ध्यान केंद्रित करें और भगवान शिव की छवि को आंखों में रखें।
6. पाठ के बाद जल्दबाजी में न उठें
पाठ समाप्त होने के बाद तुरंत उठ जाना भी अनुचित है। अंत में "आरती" और "प्रार्थना" जरूर करें और शिवजी से आशीर्वाद मांगें। कुछ पल ध्यान मुद्रा में बैठें और शिव नाम का जाप करें। इससे पाठ पूर्ण फलदायी होता है।
7. शिव चालीसा का पाठ कभी भी अपवित्र स्थान पर न करें
बाथरूम, किचन या शयनकक्ष जैसे स्थानों में चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए। यह पाठ एक पवित्र क्रिया है, जिसे सिर्फ शुद्ध और शांत स्थान पर ही करना चाहिए।