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अगर तेरहवीं पर खाते हैं खाना तो आज ही छोड़ दें वरना

 

जयपुर। वास्तु के अनुसार हम अपने जीवन की कई परेशानी का समाधान करते हैं। इसके साथ ही जीवन में कई बार हमारे आस पास का वातावरण हमारी सफलता और असफलता का निर्धारण करती है। हम में से कई लोग कई बार बगैर सोचे समझें कुछ ऐसा कर लेते हैं जिससे जीवन में परेशानी आती है। ऐसे ही हमारे दवारा किये गये भोजन का प्रभाव हम पर सबसे पहले पड़ता है। भोजन का असर हम पर सबसे ज्यादा पड़ता है।

आज म इस लेख में कुछ ऐसी बात बता रहें है जिसको हम साधारण समझ कर ध्यान नहीं देते। लेकिन हम में से कई लोग तेरवीं का मृत्यु भोज खाएं हुए होंगे। लेकिन शायद आपको तेरहवीं के दिन के मृत्युभोज से जुड़ी इस बात के बारे मे पता नहीं होगा।  तेरहवी का भोज किसी के घर में किसी सदस्य की मृत्यु पर बनाया जाता है उस समय उर परिवार के लोगो के मन में अपने प्रिय से बिछड़ने के कारण संताप होता है।

तेरहवी के दिन भोजन करवाने वाला और करने वाला दोनों ही दुखी होते हैं इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में कहा हैं,’ शोक में करवाया गया भोजन व्यक्ति की ऊर्जा का नाश करता है जिसका अर्थ यह होता है कि मृत्युभोज या तेरहवीं पर भोजन नहीं करना चाहिए ऐसा करन से भोजन करने वाली की ऊर्जा का नाश होता है। भोजन का संबंध हमारे शरीर में गहरा पड़ता है।

महाभारत के युद्ध से पहले श्री कृष्ण ने दुर्योधन के घर संधि का प्रस्ताव लेकर गये थे उस समय संधि का प्रस्ताव तो दुर्योधन ने माना नहीं लेकिन भगवान कृष्ण से भोजन करने का आग्रह जरुर किया। तब भगवान कृष्ण ने दुर्योधन से कहा। ‘हे दुर्योधन, जब खिलाने वाले और खाने वाला दोनों का मन प्रसन्न हो, तभी भोजन करना चाहिए लेकिन जब दोनों के मन में पीड़ा हो ऐसी स्थिती में कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए।’