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सूर्यदेव की बहन और भगवान ब्रह्मा की मानसपुत्री हैं छठ मैया

 

जयपुर। दिपावली के बाद छठ का त्यौहार मनाया जाता है। छठ में सूर्यदेव की उपासना की जाती है। छठ के त्यौहार में सुबह सूर्य की प्रथम किरण को अर्घ्य देने के साथ साथ शाम को सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है। छठ में सूर्य की प्रथम किरण ऊषा, और सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य दिया जाता है। छठ मैया, को  सूर्यदेव की बहन माना जाता हैं जिस कारण से सूर्योपासना कर छठ पूजा की जाती है। छठ पूजा करने से घर परिवार में सुख-शांति बनी रहती हैं।

छठ मैया को षष्ठी देवी माना जाता है। षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री माना जाता है। षष्ठी देवी की पूजा करने से निसंतानों को संतान सुख मिलता है। इसके साथ ही इनकी पूजा करने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।

देवी षष्ठी की पूजा किसी बच्चे के जन्म के छठे दिन की जाती है।  देवी षष्ठी को देवी कात्यायनी के नाम से भी जाना जाता है। छठ पूजा के लिए माना जाता है की रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भगवान श्रीराम और माता सीता ने उपवास रख सूर्यदेव की पूजा की थी।

तब से इस पर्व को मनाया जाता है। इसके साथ ही माना जाता है कि छठ पर्व का आरंभ महाभारत के समय से हुआ। इस समय कर्ण सूर्यदेव की पूजा करते थे।