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Karwa chauth vrat katha: 4 नवंबर को करवाचौथ, जानिए इससे जुड़ी व्रत कथा

 

हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक करवा चौथ का व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता हैं वही इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर को पड़ रहा हैं। यह व्रत वैवाहिक महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता हैं। इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं। करवा चौथ वाले दिन व्रत में शिव परिवार और चंद्रमा की पूजा आराधना की जाती हैं इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी करते हैं जिससे उन्हें मनवांछित वर की प्राप्ति हो। इस दिन व्रत करने से वैवाहिक जीवन में सुख शांति आती हैं। तो आज हम आपको करवा चौथ से जुड़ी पौराणिक व्रत कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

यहां पढ़ें करवा चौथ व्रत कथा—
करवा चौथ व्रत कथा के मुताबिक एक साहूकार के सात बेटे थे और करवा नाम की एक बेटी थी। एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा गया। रात्रि को जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाईयों ने उससे भी भोजन करने का आग्रह किया। उसने यह कहकर मना कर दिया। कि अभी चांद नहीं निकला है और वह चंद्रमा को जल देकर ही भोजन करेगी।vraसुबह से अपनी भूखी प्यासी बहन की हालत भाइयों से देखी नहीं गयी। सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर पीपल के पेड़ में प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला व्रत तोड़ लो। चांद निकल आया हैं बहन को भाई की चतुराई समझ नहीं आयी और उसने खाने का निवाला खा लिया। निवाला खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक साल तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि विधान से करवा चौथ का व्रत किया। जिसके फलस्वरूप उसका पति फिर से जीवित हो उठा।