×

जानिए करवाचौथ व्रत की तिथि और धार्मिक महत्व

 

करवाचौथ का व्रत अखण्ड सौभाग्य देने वाला व्रत माना जाता हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना हेतु करवाचौथ का व्रत करती हैं यह व्रत सुबह सूर्योदय से लेकर शाम चंद्रमा निकलने तक निर्जला व्रत रखा जाता हैं। पति पत्नी के बीच विश्वास की डोर को मजबूत बनाने वाला करवा चौथ का व्रत इस बार 17 अक्टूबर को पड़ रहा हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाएं यह व्रत अपने पति के प्रति समर्पित होकर उनके लिए रखती हैं। वही आज हम आपको करवाचौथ व्रत के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं।

जानिए क्यों रखा जाता है करवाचौथ का व्रत—
बता दें कि करवाचौथ दो शब्दों से मिलकर बना होता हैं करवा यानि कि मिट्टी का बर्तन व चौाि यानि श्री गणेश जी की प्रिय तिथि चतुर्थी। प्रेम, त्याग विश्वास के इस अनोखे महापर्व पर मिट्टी के बर्तन यानि करवे की पूजा का विशेष महत्व होता हैं जिससे रात्रि में चंद्रदेव को जल अर्पण किया जाता हैं। वही रामचरितमानस के लंका काण्ड के मुताबिक इस व्रत का एक पक्ष यह भी हैं कि जो पति पत्नी किसी कारण वश एक दूसरे से बिछुड़ जाते हैं, चंद्रमा की किरणें उन्हें अधिक कष्ट पहुंचती हैं। इसलिए करवाचौथ के दिन चंद्रदेव की पूजा कर महिलाएं यह कामना करती हैं किसी भी कारण से उन्हें अपने प्रियतम का वियोग न सहना पड़ें। वही महाभारत में भी एक प्रसंग हैं जिसके मुताबिक पांडवों पर आए संकट को दूर करने के लिए श्री कृष्ण के सुझाव से द्रौपदी ने भी करवाचौथ का पावन व्रत रखा था। इसके बाद ही पांडव युद्ध में विजयी हुए।

करवाचौथ का व्रत अखण्ड सौभाग्य देने वाला व्रत माना जाता हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना हेतु करवाचौथ का व्रत करती हैं यह व्रत सुबह सूर्योदय से लेकर शाम चंद्रमा निकलने तक निर्जला रखा जाता हैं। पति पत्नी के बीच विश्वास की डोर को मजबूत बनाने वाला करवा चौथ का व्रत इस बार 17 अक्टूबर को पड़ रहा हैं। जानिए करवाचौथ व्रत की तिथि और धार्मिक महत्व