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जितिया व्रत में मछली का है खास महत्व

 

आपको बता दें कि पुत्र की मंगल कामना के लिए महिलांए जितिया व्रत का उपवास रखती हैं वही इस व्रत को मुख्य रूप से महिलाएं बिहार और उत्तरप्रदेश में रखती हैं वही जीवित्पुत्रिका या जिउतिया व्रत आज नहाय खाय के साथ शुरु हो गया हैं

इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास करके अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं, वही बता दें कि हिंदू धर्म में पूजा पाठ के दौरान आमतौर पर मांसाहार करना वर्जित माना जाता हैं मगर बिहार के कई क्षेत्रों में जितिया व्रत के उपवास की शुरूआत मछली खाने से होती हैं इस मान्यता के पीछे चील और सियार से जुड़ी जितिया व्रत की एक पौराणिक कथा हैं।

वही इसके अलावा भी नहाय खाय के दिन गेंहू की जगह मरुए के आटे से बनी रोटी बनाने की भी परंपरा बहुत ही प्रचलित हैं वही धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता हैं। वही बिहार के मिथिलांचल में तो इस व्रत में मरुआ के आटे की रोटी के साथ झिंगनी की सब्जी और नोनी का साग बनाने की पंरपरा ​सदियों पुरानी हैं।

संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता हैं जिउतिया व्रत—
महिलाएं अपने पुत्र की अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए जितिया व्रत का उपवास करती हैं यह व्रत खासतौर पर बिहार और उत्तरप्रदेश में रखा जाता हैं।नहाई खाय सप्तमी तिथि 21 सितंबर 2019 दिन शनिवार को
अष्टमी एवं व्रत का मुख्य दिन 22 सितंबर 2019 दिन रविवार को। अष्टमी तिथि शनिवार 21 सितंबर को दिन में 3:30 बजे लग जायेगी। जो रविवार को 2:29 बजे तक व्याप्त रहेगी। सुबह 08:08 बजे तक मृगशिरा नक्षत्र, उसके बाद आर्द्रा नक्षत्र, व्यतिपात योग, सौम्य योगा, एवं अष्टमी का श्राद्ध इस दिन होगा।

पुत्र की मंगल कामना के लिए महिलांए जितिया व्रत का उपवास रखती हैं वही इस व्रत को मुख्य रूप से महिलाएं बिहार और उत्तरप्रदेश में रखती हैं वही जीवित्पुत्रिका या जिउतिया व्रत आज नहाय खाय के साथ शुरु हो गया हैं इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास करके अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं, वही बता दें जितिया व्रत में मछली का है खास महत्व