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सावन में सिर्फ शिव नहीं शक्ति की आराधना भी है जरूरी, इस दुर्लभ वीडियो में जाने क्यों श्री भगवती स्तोत्रम् का जाप माना जाता है विशेष फलदायी ?

 

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस पवित्र माह में शिवभक्त व्रत, पूजा-पाठ और विशेष जप-तप के माध्यम से भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। आमतौर पर शिवपुराण, रुद्राष्टाध्यायी, शिव तांडव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन के इस शिवमय माह में 'श्री भगवती स्तोत्रम्' का पाठ भी अत्यंत फलदायी और शुभ माना गया है?यह स्तोत्र मूल रूप से आदिशक्ति माँ दुर्गा को समर्पित है, जिसे आचार्य आदिशंकराचार्य ने रचा था। लेकिन शिव और शक्ति के अभिन्न संबंध को देखते हुए यह स्तोत्र सावन में भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष माध्यम बनता है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/Db7P57Wxgjc?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/Db7P57Wxgjc/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="श्री भगवती स्तोत्रम् | जय भगवती देवी नमो वरदे | भगवती स्तोत्र | माँ भगवती स्तोत्र | दुर्गा स्तोत्र" width="1250">
शिव और शक्ति: एक ही शक्ति के दो रूप
हिंदू दर्शन के अनुसार, शिव बिना शक्ति के निष्क्रिय माने जाते हैं। जब तक शक्ति यानी भगवती पार्वती या माँ दुर्गा का साथ न हो, तब तक शिव की लीला अधूरी रहती है। यही कारण है कि सावन में जब भक्त शिव को रिझाने का प्रयास करते हैं, तो शक्ति की उपासना भी अनिवार्य हो जाती है। श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ इसी शक्ति की आराधना है, जो शिव को भी प्रिय है।

श्री भगवती स्तोत्रम् का माहात्म्य
यह स्तोत्र न केवल साधक को भय, रोग और बाधाओं से मुक्त करता है, बल्कि मानसिक शक्ति, आत्मबल और आध्यात्मिक शुद्धता भी प्रदान करता है। आदिशंकराचार्य द्वारा रचित यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली है, और इसे नियमित रूप से पढ़ने वाले व्यक्ति को मां भगवती की कृपा प्राप्त होती है।

सावन में भगवती स्तोत्र का विशेष महत्व
सावन में भगवती स्तोत्र का पाठ करने के कई कारण हैं:
शिव-पार्वती की संयुक्त उपासना: सावन में शिव की पूजा के साथ शक्ति यानी पार्वती की उपासना संपूर्णता लाती है।
आध्यात्मिक संतुलन: शिव का स्वरूप त्याग, वैराग्य और योग का प्रतीक है, जबकि शक्ति जीवन, ऊर्जा और सृजन की अधिष्ठात्री हैं। दोनों की आराधना से जीवन में संतुलन आता है।
मनोकामनाओं की पूर्ति: यह स्तोत्र विशेष रूप से उन भक्तों के लिए फलदायी है जो विवाह, संतान सुख, नौकरी या मानसिक शांति की कामना करते हैं।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: श्री भगवती स्तोत्रम् का जाप घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता को आमंत्रित करता है।

कब और कैसे करें पाठ?
सावन के सोमवार को या नित्य प्रातःकाल स्नान के बाद माँ दुर्गा या पार्वती जी के चित्र या मूर्ति के समक्ष दीप जलाकर इस स्तोत्र का पाठ करें।
कुश आसन पर बैठकर शांत मन से जाप करें।
पाठ के समय ‘ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः’ बीज मंत्र का जाप भी लाभकारी रहेगा।

धार्मिक ग्रंथों में प्रमाण
देवी भागवत पुराण और शिवपुराण में वर्णन मिलता है कि शक्ति की आराधना से शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।स्वयं शिव ने देवी के महात्म्य का गुणगान किया है, जिससे स्पष्ट होता है कि भगवती की स्तुति भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है।