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अगर जान लिए श्री रुद्राष्टकम के ये गुप्त रहस्य तो आज से ही शुरू कर देंगे इसका पाठ, वायरल फुटेज में लाभ जानकर रह जाएंगे हैरान 

 

भारतीय धार्मिक ग्रंथों में अनेक स्तोत्र और मंत्रों का विशेष महत्व बताया गया है, लेकिन कुछ स्तोत्र ऐसे भी हैं जो सीधे-सीधे ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का मार्ग बनते हैं। ऐसा ही एक स्तोत्र है श्री रुद्राष्टकम, जो भगवान शिव की स्तुति का अत्यंत प्रभावशाली और अद्भुत स्रोत माना जाता है। इसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी, और यह शिव भक्ति का सर्वोच्च उदाहरण है। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है, बल्कि जीवन के संकटों, भय और मानसिक उलझनों से भी रक्षा करता है।

<a href=https://youtube.com/embed/eVeRwQyCmVA?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/eVeRwQyCmVA/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Shree Rudraashtakam | श्री रुद्राष्टकम | Most Powerful Shiva Mantra | पंडित श्रवण कुमार शर्मा द्वारा" width="695">
रुद्राष्टकम क्या है?

‘रुद्र’ का अर्थ है भगवान शिव और ‘अष्टकम’ का अर्थ है आठ छंदों वाला स्तोत्र। रुद्राष्टकम आठ छंदों में रचित एक स्तुति है, जिसमें भगवान शिव के रूप, गुण, स्वरूप और उनकी महिमा का अत्यंत सुंदर वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में है और इसकी पंक्तियाँ न केवल गेय हैं, बल्कि इनकी लयात्मकता और भावपूर्ण अभिव्यक्ति मन को सीधे भोलेनाथ से जोड़ देती है।

श्री रुद्राष्टकम का गुप्त रहस्य
श्री रुद्राष्टकम को सिर्फ एक स्तोत्र मानना इसकी शक्ति को कम आँकना होगा। इसके पीछे कई गहरे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय रहस्य छिपे हुए हैं, जिन्हें समझने के बाद कोई भी श्रद्धालु इसके नियमित पाठ से वंचित नहीं रहना चाहेगा।

मंत्र-सिद्धि और साधना का मार्ग: श्री रुद्राष्टकम को सिद्ध मंत्रों की श्रेणी में रखा जाता है। यह साधना करने वालों के लिए बेहद शुभ और शक्तिदायक होता है। नियमित पाठ से साधक की ऊर्जा शिवतत्व से जुड़ती है।

क्रोध और नकारात्मक ऊर्जा पर नियंत्रण: इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के भीतर का आवेग, क्रोध और नकारात्मकता शांत होने लगती है। क्योंकि शिव स्वयं भी संहारक हैं, लेकिन शांतचित्त योगी भी हैं।

काल भय और मृत्यु से मुक्ति: श्री रुद्राष्टकम में शिव के महाकाल स्वरूप की स्तुति की गई है। इसके नियमित जाप से व्यक्ति को काल भय से मुक्ति मिलती है और आत्मबल बढ़ता है।

रोग-नाशक और मानसिक शांति: इस स्तोत्र के उच्चारण से शरीर की चक्र-ऊर्जा सक्रिय होती है। माना जाता है कि यह मानसिक तनाव और शारीरिक रोगों में लाभकारी है।

शनि और राहु जैसे ग्रह दोषों से राहत: ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, शिव आराधना विशेष रूप से शनि, राहु और केतु जैसे क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभाव को शांत करने में कारगर होती है। श्री रुद्राष्टकम का पाठ इन्हें शांत करने का श्रेष्ठ उपाय माना गया है।

पाठ का सही समय और विधि
श्री रुद्राष्टकम का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से सोमवार, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि या महाशिवरात्रि के दिन इसका पाठ अत्यंत फलदायी होता है। पाठ करते समय व्यक्ति को स्वच्छ वस्त्र पहनकर, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। दीप जलाकर भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र के सामने श्रद्धापूर्वक पाठ करें।

पाठ का चमत्कारी प्रभाव
अनेक श्रद्धालुओं ने अनुभव किया है कि श्री रुद्राष्टकम का नियमित पाठ करने से जीवन में असंभव लगने वाले कार्य भी सहजता से पूरे हो जाते हैं। यह स्तोत्र व्यक्ति के भीतर श्रद्धा, भक्ति और आत्मबल को इतना प्रबल कर देता है कि वह कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और समाधान पा लेता है।