गायत्री मंत्र का जाप कैसे करें? 2 मिनट के इस आध्यात्मिक वीडियो में जानिए सही विधि, जाप की संख्या और इससे मिलने वाले चमत्कारी लाभ
“ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥”यह दिव्य और शक्तिशाली मंत्र गायत्री मंत्र है, जिसे वेदों की जननी भी कहा जाता है। इस मंत्र का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि मानसिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप से भी अपार है। गायत्री मंत्र का नियमित जाप करने से न केवल व्यक्ति की आत्मा पवित्र होती है, बल्कि मन की शांति, बुद्धि की तीव्रता और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।आज के इस आधुनिक और भागदौड़ भरे जीवन में जहां तनाव, चिंता और नकारात्मकता तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में गायत्री मंत्र का जाप एक मानसिक औषधि की तरह काम करता है। इस लेख में हम जानेंगे गायत्री मंत्र के जाप की सही विधि, कितनी बार जाप करना चाहिए, और इससे मिलने वाले लाभ।
गायत्री मंत्र का अर्थ और महत्व
गायत्री मंत्र का सीधा संबंध सूर्य देव और ज्ञान के प्रकाश से है। यह मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है और इसे महर्षि विश्वामित्र ने संकल्पित किया था। इसका भावार्थ है कि हम उस परम तेजस्वी सविता देवता का ध्यान करें, जो हमारी बुद्धियों को श्रेष्ठ मार्ग पर प्रेरित करे।यह केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि आत्मा की चेतना को ब्रह्मांड की चेतना से जोड़ने का माध्यम है।
गायत्री मंत्र जाप की सही विधि
गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए कुछ विशिष्ट नियम और विधियां होती हैं जिन्हें अपनाने से इसका प्रभाव और अधिक गहरा और फलदायक होता है:
शुद्धता रखें – जाप से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। अगर संभव हो तो पीले या सफेद रंग के वस्त्र उत्तम माने जाते हैं।
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें – यह दिशाएं ऊर्जा के संचार के लिए श्रेष्ठ मानी गई हैं।
ध्यान मुद्रा में बैठें – सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठना लाभदायक होता है। पीठ सीधी रखें और आंखें बंद करें।
माला का प्रयोग करें – गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए तुलसी, रुद्राक्ष या चंदन की माला का प्रयोग करें। माला में सामान्यतः 108 मोतियां होती हैं।
नियम बनाएं – मंत्र का जाप प्रतिदिन एक निश्चित समय और स्थान पर करें। इससे मानसिक एकाग्रता और प्रभाव बढ़ता है।
मन में जाप करें – मानसिक जाप सबसे श्रेष्ठ माना गया है। आप चाहें तो धीरे-धीरे उच्चारण भी कर सकते हैं।
दूध या जल अर्पित करें – अगर सूर्योपासना के साथ कर रहे हों, तो तांबे के लोटे में जल भरकर सूर्य को अर्घ्य देना भी बहुत लाभकारी होता है।
गायत्री मंत्र का जाप कितनी बार करें?
गायत्री मंत्र का जाप संख्या के आधार पर कई स्तरों पर किया जा सकता है। यह पूरी तरह साधक की क्षमता, समय और श्रद्धा पर निर्भर करता है:
11 बार जाप – दिन की शुरुआत के लिए पर्याप्त और सरल अभ्यास।
21 बार जाप – मानसिक शांति और सकारात्मक सोच के लिए उपयुक्त।
51 बार जाप – बुद्धि और एकाग्रता को तेज करने के लिए अनुशंसित।
108 बार जाप – संपूर्ण आध्यात्मिक लाभ के लिए सबसे प्रभावी माना गया।
1008 बार जाप (अनुष्ठानिक) – विशेष अवसरों, संकटों या पूर्ण मनोकामना पूर्ति के लिए गहन साधना का रूप होता है।
अगर कोई प्रतिदिन 108 बार जाप नहीं कर पाता, तो कम से कम 11 बार श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से भी इसका सकारात्मक प्रभाव महसूस होता है।
गायत्री मंत्र जाप से होने वाले प्रमुख लाभ
बुद्धि और एकाग्रता में वृद्धि – यह मंत्र मस्तिष्क को शांत करता है और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
मानसिक शांति और तनाव मुक्ति – नियमित जाप करने से अवसाद, बेचैनी और मानसिक अशांति दूर होती है।
नेगेटिव एनर्जी से सुरक्षा – यह मंत्र व्यक्ति को ऊर्जावान बनाता है और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
कर्मों की शुद्धि – यह मंत्र हमारे विचारों और कर्मों को सात्विक बनाता है।
आध्यात्मिक विकास – गायत्री मंत्र आत्मा को शुद्ध कर ब्रह्म ज्ञान की ओर अग्रसर करता है।
शारीरिक स्वास्थ्य में लाभ – शोधों में पाया गया है कि इसका उच्चारण फेफड़ों, हृदय और स्नायु तंत्र पर सकारात्मक असर डालता है।
विशेष सावधानियां और नियम
मंत्र का उच्चारण स्पष्ट, शुद्ध और सही होना चाहिए।
गायत्री मंत्र का जाप कभी रात्रि में नहीं करना चाहिए, इसे सूर्योदय या सूर्यास्त के समय करना श्रेष्ठ होता है।
इसे गुरुमंत्र मानकर श्रद्धा के साथ ही प्रयोग करें, हल्के में न लें।
जाप करते समय किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना या जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए।