कितने साल जिएंगे आप, रहस्य खोलता है लग्न स्थान
जयपुर। हम में से कई लोग अपनी आयु को लेकर चिंतित रहते हैं, अक्सर मन में यह बात आसी है कि कितनी आयु किस्मत मे लिखवाकर लाएं है। हम में से कई लोगो को अपनी उम्र को लेकर इतनी टेंशन होती है कि अक्सर बोलते हैं कि जो शौक-मौज हैं उनको आज पूरा कर लो पता नहीं कब जाना पड़ जाए।
मृत्यु को लेकर हम अपनी जन्मकुंडली के आधार पर पता लगा सकते है। कुंड़ली में ग्रहों का स्थिति से पता लगाया जा सकता है कि कब मृत्यु होगी। जन्मकुंडली में प्रथम स्थान को से मृत्यु का पता लगाया जा सकता है। आज इस लेख में हम इस बारे मे बता रहें हैं।
जन्मकुंडली में प्रथम स्थान जिसे लग्न स्थान माना जाता है यह स्थान व्यक्ति की शारीरिक संचरना के साथ साथ स्वभाव, गुण, प्रकृति और आयु के बारे में बताता है। कुंड़ली में लग्न से यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति की आयु पूर्णायु, अल्पायु या मध्यायु कैसी है। पूर्णायु में व्यक्ति 100 वर्ष, मध्यायु में 64 वर्ष और अल्पायु में 32 वर्ष होती है।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आयुकारक ग्रह माना जाता है। इसका पूर्ण प्रभाव लग्न के स्थान पर होता है। अगर लग्नेश का स्वामी सूर्य अपने मित्र ग्रह चंद्र, मंगल, गुरु के साथ है तो व्यक्ति को पूर्ण आयु मिलती है, लेकिन अगर लग्नेश सूर्य अपने शत्रु ग्रह शुक्र, शनि, राहु, केतु के साथ स्थित है तो व्यक्ति अल्पायु होता है वहीं अगर लग्नेश में सूर्य सम भाव में बुध ग्रह के साथ है तो व्यक्ति मध्यायु होती है।