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मां काली कैसे बनीं महाकाली? 3 मिनट के इस पौराणिक वीडियो में जानिए देवी के इस उग्रतम रूप की रहस्यमयी और पौराणिक कथा

 

नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा को देवी पार्वती का ही एक रूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि देवी काली का जन्म क्रोध से हुआ था। इसीलिए उनका शरीर काले रंग का है। आइए जानते हैं कि देवी काली कैसे महाकाली बनीं?

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/olTRYEfQffM?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/olTRYEfQffM/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="नवरात्रि व्रत कथा | इस व्रत से दूर होंगे सभी दुख, मिलेगी संतान और निरोगी काया | Navratri Vrat Katha" width="1250">

पौराणिक कथा

प्राचीन काल में रक्तबीज नाम का एक राक्षस था। वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। उसने भगवान शिव की कठोर तपस्या करके वरदान प्राप्त किया था। उसे वरदान मिला था कि उसके रक्त की जितनी बूँदें पृथ्वी पर गिरेंगी, उतने ही शक्तिशाली राक्षस उत्पन्न होंगे। भगवान शिव से वरदान प्राप्त करने के बाद, उसने ऋषियों और मुनियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। तब ऋषियों और मुनियों ने देवताओं से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना की।

रक्तबीज और देवताओं के बीच युद्ध

ऋषियों और मुनियों की रक्षा के लिए, देवताओं ने रक्तबीज को युद्ध के लिए ललकारा। रक्तबीज भी युद्ध लड़ने आया। युद्ध में रक्तबीज के शरीर से गिरने वाली रक्त की सभी बूँदें रक्तबीज जैसे शक्तिशाली राक्षसों में बदल जातीं। बहुत देर तक युद्ध करने के बाद भी, देवता युद्ध में उसका वध नहीं कर सके। अंततः रक्तबीज ने देवताओं को परास्त कर देवलोक पर अधिकार कर लिया। इसके बाद सभी देवता शिव के पास पहुँचे। सभी ने भगवान शिव से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना की।

माता काली की उत्पत्ति

उस समय शिव के साथ देवी पार्वती भी उपस्थित थीं। देवताओं की बातें सुनकर वे क्रोध से लाल हो गईं। तभी उनके शरीर से माता काली उत्पन्न हुईं। तब देवी काली रक्तबीज से युद्ध करने के लिए निकल पड़ीं। युद्धभूमि में देवी काली ने अपनी जीभ बहुत बड़ी कर ली। उसके बाद रक्तबीज के शरीर से रक्त की जो भी बूँदें गिरतीं, माता काली उनसे उत्पन्न राक्षसों को निगल जातीं। इस प्रकार, जब रक्तबीज का शरीर रक्तहीन हो गया, तो माता काली ने उसका भी अंत कर दिया।

माँ काली बनीं महाकाली

रक्तबीज के वध के बाद भी माँ काली का क्रोध शांत नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था मानो वह तीनों लोकों को निगल जाएँगी। देवी का यह रूप देखकर सभी देवता इधर-उधर भागने लगे। तभी भगवान शिव उनके मार्ग में लेट गए। क्रोधित होकर देवी काली ने भगवान शिव की छाती पर अपना पैर रख दिया। इसके बाद देवी काली का क्रोध शांत हो गया।

कालिका पुराण की कथा

कालिका पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार सभी देवता हिमालय पर स्थित मतंग मुनि के आश्रम पहुँचे। उसके बाद मतंग मुनि ने यज्ञ आरंभ किया। तब सभी देवता महामाया देवी की स्तुति करने लगे। काफी देर तक स्तुति करने के बाद माता महामाया देवताओं के समक्ष प्रकट हुईं। माता ने देवताओं से पूछा कि आप सभी किसकी स्तुति कर रहे हैं? उसी समय देवी महामाया के शरीर से एक काली दिव्य स्त्री प्रकट हुई। उस दिव्य स्त्री ने देवी महामाया से कहा कि वे सभी मेरी ही स्तुति कर रहे हैं। वही देवी महाकाली के नाम से जानी जाती हैं।