सावन के दूसरे सोमवार पर शिव को प्रसन्न करने के लिए मिल रहे हैं 3 शुभ मुहूर्त, वायरल वीडियो में जानें पूजन विधि और लाभकारी उपाय
सोमवार को भगवान शिव का दिन कहा जाता है। यही वजह है कि सावन सोमवार का बहुत महत्व है। सावन के दूसरे सोमवार को लेकर शिवभक्त काफी उत्साहित हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, 21 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार और कामिका एकादशी है। सावन सोमवार को किया गया रुद्राभिषेक लाभकारी होता है। कल एकादशी और सावन सोमवार होने के कारण इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। ऐसे में इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक और अभिषेक करना शुभ रहेगा।
शुभ योग - इस दिन वृद्धि योग - शाम 06:39 बजे तक, उसके बाद ध्रुव योग रहेगा। साथ ही रोहिणी नक्षत्र - रात 09:07 बजे तक, उसके बाद मृगशिरा नक्षत्र रहेगा।
सावन के दूसरे सोमवार पर इन शुभ मुहूर्त में करें शिव पूजा
ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:14 बजे से प्रातः 04:55 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:00 बजे से 12:55 बजे तक
विजय मुहूर्त- 02:44 PM से 03:39 PM तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07:17 बजे से शाम 07:38 बजे तक
अमृत काल- शाम 06:09 बजे से शाम 07:38 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि- पूरे दिन योग
अमृत सिद्धि योग - रात्रि 09:07 बजे से प्रातः 05:37 बजे तक, 22 जुलाई
अमृत - श्रेष्ठ प्रातः 05:36 से प्रातः 07:19 तक
शुभ - उत्तम प्रातः 09:02 से प्रातः 10:45 तक
लाभ - उन्नति 03:53 PM से 05:36 PM तक
अमृत- सर्वोत्तम शाम 5:36 से 7:18 बजे तक
व्रत - सामान्य 7:18 से 8:36 बजे तक
रुद्राभिषेक-विधि: स्नान के बाद सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें। इसके बाद भगवान शिव, पार्वती, सभी देवताओं और नवग्रहों का ध्यान करें और रुद्राभिषेक करने का संकल्प लें। मिट्टी का शिवलिंग बनाएँ। इसे उत्तर दिशा में स्थापित करें। रुद्राभिषेक करने वाले का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इस विधि की शुरुआत शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करके करें। सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएँ। इसके बाद गन्ने के रस, कच्चे गाय के दूध, शहद, घी और मिश्री से शिवलिंग का अभिषेक करें। सभी सामग्रियों से अभिषेक करने से पहले और बाद में पवित्र जल या गंगाजल अर्पित करें।
भगवान को बिल्व पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, काले तिल, भांग, धतूरा, आंक, शमी का फूल और पत्ता, कनेर, कलावा, फल, मिठाई और सफेद फूल अर्पित करें। इसके बाद शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की पूजा करें। भगवान को भोग लगाएँ। पूरी श्रद्धा से भगवान शिव की आरती करें। अंत में क्षमा प्रार्थना करें। इस दौरान चढ़ाए गए जल या अन्य द्रव्यों को इकट्ठा करके घर के सभी कोनों और सभी लोगों पर छिड़कें और प्रसाद के रूप में भी ग्रहण कर सकते हैं। किसी विद्वान पंडित से रुद्राभिषेक करवाना अत्यंत सफल माना जाता है। आप स्वयं रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करके भी इस विधि को पूर्ण कर सकते हैं।उपाय: सावन के दूसरे सोमवार को शिव चालीसा और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें।