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हरतालिका तीज: क्यों पड़ा इस व्रत का नाम हरतालिका, जानिए इस दिन क्या करें और क्या नहीं

 

हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक हरतालिका तीज सबसे बड़ी तीज मानी जाती हैं। इस व्रत को रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य होने का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं इस वर्ष यह व्रत 21 अगस्त को रखा जाएगा। हरतालिका तीज का व्रत महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता हैं। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम के समय शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं कुछ जगहों पर इस व्रत को कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए भी रखती हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इसव्रत का नाम कैसे पड़ा हरतालिका तीज, तो आइए जानते हैं।

कथा के मुताबिक शिव की वेशभूषा और उनका रहन सहन राजा हिमाचल को पसंद नहीं था। उन्होंने इस बात की चर्चा नारद जी से की तो उन्होंने उमा का विवाह भगवान विष्णु से करने की सलाह दी। मां पार्वती शिव को अपना पति मान चुकी थी। इसलिए उन्होंने विष्णु जी से विवाह करने से मना कर दिया। तब मां पार्वती की सखियों ने इस विवाह को रोकने की योजना बनाई। माता पार्वती की सखियां उनका अपहरण करके जंगल ले गईं, जिससे उनका विवाह विष्णु से न हो सकें। सखियों के माता पार्वती का हरण किया इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ गया। जंगल में माता ने शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तप किया और फिर शिव ने उन्हें दर्शन देकर पत्नी के रूप में स्वीकार किया। हरतालिका तीज के दिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना चाहिए और माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन श्रृंगार की वस्तुओं का दान भी करना शुभ माना जाता हैं।