गोगादेव भजन: गोगा नवमी पर आज पूजा के बाद गाएं गोगा देव का प्रिय भजन
गोगादेव नवमी त्योहार का वाल्मीकि समाज में बहुत ही खास महत्व होता हैं वाल्मीकि समाज के आराध्य देव वीर गोगादेवजी महाराज का जन्मोत्सव हर साल गोगा नवमी के रूप में मनाया जाता हैं हर साल वाल्मीकि समाज के लोग इस दिन परंपरागत श्रद्धा भक्ति और उत्साह उमंग के साथ मनाया जाता हैं
वही इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर खाना आदि बना लें। भोग के लिए खीर, चूरमा, गुलगुले आदि बना लें। इनका भोग गोगा देव को लगाया जाता हैं। महिलाएं वीर गोगा की मूर्ति लेकर आती हैं जो मिट्टी से बनाई जाती हैं। तब इनकी पूजा की जाती हैं मूर्ति पर रोली, चावल से तिलक लगाया जाता हैं साथ ही प्रसाद का भी भोग लगाया जाता हैं। ऐसे कई स्थिानों पर तो गोगा देव के घोड़े पर चढ़ी हुई मूर्ति होती हैं जिसकी पूजा की जाती हैं
गोगादेव भजन—
भादवे में गोगा नवमी आगी रे, भगता में मस्ती सी छागी रे,
गोगा पीर दिल के अंदर, थारी मैडी पे मैं आया,
मुझ दुखिया को तू अपना ले, ओ नीला घोड़े आळे।
मेरे दिल में बस गया है गोगाजी घोड़ेवाला,
वो बाछला मां का लाला वो है, नीला घोड़े वाला,
दुखियों का सहारा गोगा पीर।