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भगवान कृष्ण ने गीता में बताया है परेशानियों से बचनें का उपाय

 

इस बार आठ दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी। भगवान कृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिया कर्मयोग का ज्ञान ही गीता कहलाता हैं गीता महाभारत के भीष्मपर्व का एक उपपर्व माना जाता हैं। जिसमें भगवान कृष्ण ने बताया हैं कि व्यक्ति को जीवन में सुख और दुख के समय में क्या करना चाहिए। भगवान कृष्ण के मुताबिक सुख के समय में मनुश्य को खास व्यवहार करना चाहिए। सुख के समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी हैं। सुख और दुख में हर कई बार मन को काबू नहीं रख पाते हैं। जिससे हमारा ही नुकसान हो जाता हैं, इसलिए इन दो स्थितियों में समझदारी से काम लेना चाहिए।

जानिए भीष्म पर्व का श्लोक—
न प्रह्दष्येत प्रियं प्राप्त नोद्विजेत् प्राप्य चाप्रियम्।

स्थिरबुद्धिरसम्मूढो ब्रह्मविद् ब्रह्मणि स्थितः।।

वही इस श्लोक में भगवान कृष्ण बताते हैं कि जब भी कोई मनुष्य बहुत प्रसन्न होता हैं, तब वह अपने मन को वश में नहीं रख पाता हैं, बल्कि खुद उसके वश में हो जाता हैं अच्छे दिनों में कई बार व्यक्ति ऐसी कुछ बातें कह जाते हैं, जो भविष्य में व्यक्ति के लिए पूरा कर पाना संभव न हो या ऐसा कुछ कर जाते हैं, जिसके बुरे परिणाम व्यक्ति को भविष्य में झेलना पड़ सकता हैं। ये बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए। कि अच्छे दिन हर वक्त नहीं रहते हैं इसलिए सुख के समय अपने मन को अपने वश में रखें।

वही कई व्यक्ति अपने बुरे समय से अपना धैर्य खो देते हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए ऐसे काम करने लगते हैं जो उन्हें कभी नहीं करना चाहिए दुख ही एक ऐसा समय होता हैं, जब मनुष्य आसानी से गलत रास्ते पर चलने को मजबूर हो जाता हैं।

भगवान कृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिया कर्मयोग का ज्ञान ही गीता कहलाता हैं गीता महाभारत के भीष्मपर्व का एक उपपर्व माना जाता हैं। जिसमें भगवान कृष्ण ने बताया हैं कि व्यक्ति को जीवन में सुख और दुख के समय में क्या करना चाहिए। गीता जयंती इस बार आठ दिसंबर को पड़ रही हैं भगवान कृष्ण ने गीता में बताया हैं परेशानियों से बचनें का उपाय। भगवान कृष्ण ने गीता में बताया है परेशानियों से बचनें का उपाय