Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी पर क्यों जरूरी है श्री गणेशाष्टकम् का पाठ, वायरल वीडियो में जानें विधि, लाभ और सही समय
देशभर में आज धूमधाम से गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। बप्पा के स्वागत के लिए मंदिरों से लेकर घरों तक सजावट की गई है और भक्त आस्था और श्रद्धा के साथ गणपति की स्थापना कर रहे हैं। शास्त्रों में गणेश चतुर्थी का दिन भगवान गणेश की विशेष कृपा पाने का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन बप्पा की पूजा और विशेष मंत्रों का पाठ करने से हर तरह के संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इन्हीं मंत्रों में से एक है श्री गणेशाष्टकम् — जिसे भगवान गणेश का सबसे शक्तिशाली और प्रभावी स्तोत्र माना जाता है।
क्यों खास है श्री गणेशाष्टकम्?
श्री गणेशाष्टकम् संस्कृत में रचित आठ श्लोकों का एक पवित्र स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश के विभिन्न रूपों और उनके गुणों का वर्णन मिलता है। इसे पढ़ने और सुनने मात्र से ही नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और बुद्धि का विकास होता है। कहा जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और हर कार्य में सफलता मिलने लगती है।पौराणिक कथाओं में भी श्री गणेशाष्टकम् के महत्व का उल्लेख मिलता है। यह स्तोत्र न केवल विघ्नहर्ता गणपति का स्मरण कराता है, बल्कि जीवन के सभी संकटों को समाप्त करने में सहायक माना जाता है।
श्री गणेशाष्टकम् के पाठ की सही विधि
गणेश चतुर्थी के दिन इस स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं सही विधि —
प्रातः स्नान और शुद्धि – सूर्योदय के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को साफ करें और वहां भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
गणपति पूजन – गणेश जी को लाल फूल, दूर्वा, मोदक और सिंदूर अर्पित करें। दीपक और धूप जलाएं।
आसन ग्रहण करें – पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
मंत्र पाठ – श्रद्धा और भक्ति भाव से श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करें। इसे कम से कम एक बार पूरा अवश्य पढ़ें।
आरती और प्रार्थना – पाठ के बाद गणेश जी की आरती करें और परिवार व समाज की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
श्री गणेशाष्टकम् के पाठ का सही समय
गणेश चतुर्थी पर इस स्तोत्र का पाठ दिनभर किया जा सकता है, लेकिन प्रातःकाल और सायंकाल का समय सबसे शुभ माना गया है। खासतौर पर ब्राह्ममुहूर्त यानी सूर्योदय से पहले का समय सबसे उत्तम है। इस समय किए गए मंत्र-जप से जीवन में शुभ फल कई गुना अधिक प्राप्त होते हैं।अगर किसी कारणवश प्रातःकाल पाठ करना संभव न हो तो गणेश चतुर्थी की संध्या को दीप जलाकर इस स्तोत्र का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी होता है।
श्री गणेशाष्टकम् पाठ का लाभ
जीवन में आने वाली बाधाएं और रुकावटें दूर होती हैं।
धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है।
मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
परिवार में सुख-समृद्धि और सौहार्द की वृद्धि होती है।