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श्री गणेश के हर रूप की क्या हैं विशेषता, जानिए

 

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता हैं वही भगवान श्री गणेश को बल, विद्या और बुद्धि प्रदान करने वाला देवता माना जाता हैं वही हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान गणपति के 32 मंगलकारी स्वरूपों का वर्णन किया गया हैं। वही श्री गणेश की शारीरिक संरचना में विशिष्ट व गहरा अर्थ निहित होता हैं वही ऐसा माना जाता हैं कि हर युग में श्री गणेश जी अधर्म का नाश करने के लिए एक नया अवतार लेते हैं। वही आज हम आपको गणेश जी से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

बता दें, कि आमतौर पर तस्वीरों में भगवान श्री गणेश की दो या फिर चार भुजाएं देखी जाती हैं मगर क्या आपको पता हैं कि गणपति की दो या फिर चार नहीं बल्कि 6 और 10 भुजाएं भी होती हैं गणेश जी की हर भुजा का अपना अलग ही मतलब होता हैं। भगवान श्री गणेश अपनी दो भुजाओं वाले स्वरूप में धूम्रकेतु हैं शुक्ल अष्टमी को शिवगौरीनंदन के धूम्रकेतु स्वरूप का पूजन अर्चना करना बहुत ही शुभ और श्रेष्ठ माना जाता हैं वही सहृदय श्री गणेश इस रूप में पापियों के संहारक होंगे। देह से ज्वालाएं उठेंगी। वे इस स्वरूप में नीले घोड़े पर सवार होकर घोर कलियुग में अवतरित होंगे। वही कलियुग में उनका यह स्वरूप हैं भगवान धूम्रकेतु समस्त दोषों का परिहार करने वाले माने जात हैं।

वही शिवगौरी नंदन गणेश जी की चतुर्भुज रूप का अपना अलग महत्व होता हैं उनकी चार भुजाओं में चार बस्तुएं होती हैं उनकी चार भुजाओं में से एक हाथ में अंकुश, दूसरे हाथ में पाश, तीसरे में मोदक और चौथे में आशीर्वाद हैं।

आमतौर पर तस्वीरों में भगवान श्री गणेश की दो या फिर चार भुजाएं देखी जाती हैं मगर क्या आपको पता हैं कि गणपति की दो या फिर चार नहीं बल्कि 6 और 10 भुजाएं भी होती हैं गणेश जी की हर भुजा का अपना अलग ही मतलब होता हैं। भगवान श्री गणेश अपनी दो भुजाओं वाले स्वरूप में धूम्रकेतु हैं शुक्ल अष्टमी को शिवगौरीनंदन के धूम्रकेतु स्वरूप का पूजन अर्चना करना बहुत ही शुभ और श्रेष्ठ माना जाता हैं वही सहृदय श्री गणेश इस रूप में पापियों के संहारक होंगे। देह से ज्वालाएं उठेंगी। श्री गणेश के हर रूप की क्या हैं विशेषता, जानिए