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कोर्ट-कचहरी से लेकर असाध्य रोगों तक! हर संकट में चमत्कारी साबित होता है श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ, वीडियो में जाने पाठ विधि 

 

सावन का पावन महीना चल रहा है, जब आध्यात्मिक ऊर्जा चरम पर होती है और देवी-देवताओं की उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है। ऐसे समय में अगर जीवन में कोई गंभीर संकट हो—चाहे वह असाध्य बीमारी हो, कोर्ट-कचहरी का लंबा विवाद या पारिवारिक कलह—तो एक साधन है जो शास्त्रों में अचूक बताया गया है: "श्री भगवती स्तोत्रम्" का नियमित पाठ।यह स्तोत्रम् देवी दुर्गा की शक्ति को समर्पित एक दिव्य स्तुति है, जिसकी रचना आदि शंकराचार्य द्वारा मानी जाती है। इस स्तोत्र में मां भगवती के विविध रूपों का स्मरण कर उनकी कृपा की याचना की जाती है। माना जाता है कि यह पाठ जहां रोग नाशक है, वहीं यह मानसिक तनाव, शत्रु बाधा और न्यायिक उलझनों से भी मुक्ति दिलाने में सक्षम है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/Db7P57Wxgjc?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/Db7P57Wxgjc/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="श्री भगवती स्तोत्रम् | जय भगवती देवी नमो वरदे | भगवती स्तोत्र | माँ भगवती स्तोत्र | दुर्गा स्तोत्र" width="1250">
क्या है श्री भगवती स्तोत्रम् का महत्व?
श्री भगवती स्तोत्रम्, जिसे "देवी स्तुति" भी कहा जाता है, एक अत्यंत शक्तिशाली प्रार्थना है जिसमें मां दुर्गा की करुणा, शक्ति और रक्षा-संबंधी गुणों का गुणगान किया गया है। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि इसे पढ़ने से:

असाध्य बीमारियां भी धीरे-धीरे ठीक होने लगती हैं
मन में साहस और शक्ति का संचार होता है
कोर्ट-कचहरी, मुकदमेबाजी या प्रशासनिक उलझनों से राहत मिलती है
बुरी नजर, टोटका या काला जादू जैसे नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाते हैं
मानसिक चिंता और अवसाद दूर होता है
व्यापार, नौकरी या रिश्तों में चल रही रुकावटें भी दूर होने लगती हैं

कब और कैसे करें पाठ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ सुबह स्नान के बाद, साफ वस्त्र पहनकर मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर करना चाहिए। दीपक और अगरबत्ती जलाकर मां को लाल फूल चढ़ाएं। शांत मन से निम्नलिखित विधि से स्तोत्र का पाठ करें:
पहले 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र से शुरुआत करें
फिर पूरे श्रद्धा भाव से श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ करें
अंत में 'जय माता दी' कहकर नमन करें
विशेषकर मंगलवार, शुक्रवार और नवरात्रि के दिनों में इसका पाठ और भी अधिक प्रभावशाली माना गया है।

सावन में पाठ का विशेष महत्व
सावन माह को भगवान शिव का प्रिय मास कहा जाता है, लेकिन इसी समय मां पार्वती की आराधना भी विशेष फलदायी होती है। मां भगवती ही पार्वती का रूप हैं। इस महीने में की गई साधना कई गुना फल देती है। अगर आप जीवन में लगातार परेशानियों से जूझ रहे हैं, चाहे बीमारी हो या कानून से जुड़ी समस्या, तो यह समय उपयुक्त है श्री भगवती स्तोत्रम् का नियमित पाठ शुरू करने के लिए।

भक्तों के अनुभव
कई श्रद्धालुओं ने बताया है कि जब उन्होंने निष्ठा के साथ इस स्तोत्र का पाठ किया, तो वर्षों से चल रही कोर्ट-कचहरी के मामले सहजता से सुलझ गए। कुछ लोग जो असाध्य रोगों से ग्रस्त थे, उन्हें भी धीरे-धीरे स्वास्थ्य लाभ मिला। कई बार जब सारे उपाय निष्फल हो जाते हैं, तब केवल मां भगवती की कृपा ही राहत देती है।