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Sawan Shivratri पर भूलकर भी ना करे ये गलतियां वरना नष्ट हो जाएगा पूजा का फल, नहीं बनना चाहते पाप का भागी तो देखे ये वीडियो 

 

हिंदू धर्म में सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व है, खासकर भगवान शिव के भक्तों के लिए। यह श्रावण मास (सावन) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे पवित्र और शुभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन का महीना और विशेष रूप से सावन शिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और मनचाहा वर प्राप्त होता है। कुंवारी कन्याएँ अच्छे जीवनसाथी की कामना के लिए इस दिन विशेष रूप से व्रत रखती हैं, लेकिन इस दिन कुछ चीजों से बचना चाहिए।

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सावन शिवरात्रि पर न करें ये गलतियाँ

केतकी का फूल और तुलसी के पत्ते

भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल और तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। केतकी को भगवान शिव ने श्राप दिया था और तुलसी भगवान विष्णु से संबंधित है, हालाँकि हनुमान जी को तुलसी प्रिय है, भगवान शिव नहीं। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, सफ़ेद कनेर, शमी पत्र और भांग चढ़ाएँ।

काले वस्त्र धारण करें

सावन शिवरात्रि पर पूजा करते समय काले वस्त्र धारण करने से बचें। काला रंग नकारात्मकता और अशुभता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन शुभ और हल्के रंग के वस्त्र जैसे सफ़ेद, हरा, पीला या लाल धारण करने चाहिए।

नुकीली वस्तुओं का प्रयोग

पूजा के दौरान नुकीली वस्तुओं (जैसे चाकू) का प्रयोग करने से बचें। यदि पूजा सामग्री को काटना हो, तो उसे पहले से तैयार रखें।

शंख से जल अर्पित करना

शंख से भगवान शिव को जल अर्पित नहीं करना चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है कि भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था, जिसका प्रतीक शंख था। इसलिए शिव पूजा में शंख वर्जित है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे या अन्य पवित्र पात्र का प्रयोग करें।

अक्षत न चढ़ाएँ

भगवान शिव को कभी भी खंडित या खंडित चावल (अक्षत) नहीं चढ़ाना चाहिए। हमेशा साबुत और साफ़ चावल ही चढ़ाएँ।

पूजा में हल्दी और कुमकुम का प्रयोग

शिवलिंग पर सीधे हल्दी या कुमकुम (रोली) नहीं चढ़ाया जाता, क्योंकि इन्हें महिलाओं के श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है। माता पार्वती की पूजा में हल्दी का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन शिवलिंग पर चंदन या भस्म लगाएँ।

बासी या अशुद्ध प्रसाद

भगवान को कभी भी बासी या अशुद्ध प्रसाद नहीं चढ़ाना चाहिए। हमेशा ताज़ा, शुद्ध और सात्विक प्रसाद तैयार करके चढ़ाएँ।

अज्ञानी व्यक्ति से रुद्राभिषेक करवाना

यदि आप रुद्राभिषेक या कोई बड़ा अनुष्ठान करवा रहे हैं, तो उसे किसी अज्ञानी या अशुद्ध व्यक्ति से न करवाएँ। विधि-विधान के अनुसार किसी योग्य, ज्ञानी और पवित्र ब्राह्मण से ही पूजा या रुद्राभिषेक करवाएँ।

नकारात्मक विचार और वाणी

व्रत या पूजा के दिन किसी के प्रति द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध या अपशब्द न बोलें। मन को शांत और पवित्र रखें। "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते रहें।

ऐसे मिलेगा पूजा का पूर्ण फल

सावन शिवरात्रि के दिन पूजा का सबसे महत्वपूर्ण नियम सच्ची श्रद्धा और शुद्ध मन है। इसके बिना कोई भी अनुष्ठान अधूरा माना जाता है। शिवरात्रि पर प्रदोष काल (सूर्यास्त के आसपास का समय) में पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है। भगवान शिव को बेलपत्र और जल सबसे प्रिय हैं। इन्हें श्रद्धापूर्वक अर्पित करें। हो सके तो व्रत रखें और नियमों का पालन करें। पूजा के बाद अपनी क्षमतानुसार गरीबों और ज़रूरतमंदों को दान-पुण्य करें। इन गलतियों से बचकर और सही विधि-विधान से पूजा करके आप सावन शिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, जिससे आपकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होंगी।