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जानिए क्या है दत्तात्रेय जयंती का महत्व

 

भगवान दत्तात्रेय त्रिदेवों के संयुक्त स्वरूप माने जाते हैं हिंदू धर्म में इनकी आराधना विशेष रूप से कि जाती हैं। इनके अंदर गुरु और ईश्वर, दोनो का स्वरुप निहित माना जाता हैं इनके तीन मुख और छह हाथ हैं, स्वरुप त्रिदेवमय हैं वही इनके साथ कुत्ते और गाय भी दिखाई देते हैं। वही इन्होंने अपने चौबीस गुरु माने हैं। जिसमें प्रकृति, पशु पक्षी और मानव भी शामिल हैं। वही इनकी पूजा तत्काल फलदायी होती हैं और इससे व्यक्ति के सभी कष्टों का जल्दी निवारण हो जाता हैं। वही इस बार भगवान दत्तात्रेय की जयंती 11 दिसंबर यानी की कल मनाई जाएगी।

जानिद दत्तात्रेय देवता की पूजा से क्या वरदान ​प्राप्त होता है—
आपको बता दें कि मनुष्य गलत संगति और गलत रास्ते से बच जाता हैं। संतान और ज्ञान की प्राप्ति की कामना भी पूर्ण हो जाती हैं। इनकी आराधना से मनुष्य के ऊपर किसी भी तरह की नकारात्मक शक्ति का असर नहीं होता हैं। मनुष्य को जीवन में एक मार्गदर्शक प्राप्त होता हैं। इनकी आराधना से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हें। व्यक्ति सन्मार्ग पर चलने लगता हैं।

जानिए इनकी उपासना कर तरीका—
भगवान दत्तात्रेय के चित्र या प्रतिकृति की स्थापना करें। उन्हें पीले पुष्प और पीली चीजें अर्पित करें। इसके बाद उनके मंत्रों का जाप करें। अपनी इच्छा पूर्ति की प्रार्थना करें। हो सके तो इस दिन एक वेला व्रत भी रखें।

जानिए मंत्र—

– ॐ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा

– ॐ महानाथाय नमः

भगवान दत्तात्रेय त्रिदेवों के संयुक्त स्वरूप माने जाते हैं इनके अंदर गुरु और ईश्वर, दोनो का स्वरुप निहित माना जाता हैं इनके तीन मुख और छह हाथ हैं, स्वरुप त्रिदेवमय हैं इनके साथ कुत्ते और गाय भी दिखाई देते हैं। इन्होंने अपने चौबीस गुरु माने हैं। जिसमें प्रकृति, पशु पक्षी और मानव भी शामिल हैं। वही इनकी पूजा तत्काल फलदायी होती हैं जानिए क्या है दत्तात्रेय जयंती का महत्व