सावन में करें श्री भगवती स्तोत्रम् का जाप, वीडियो में जानिए इसकी सही विधि और अद्भुत चमत्कारी लाभ जो बदल सकते हैं आपकी किस्मत
सावन मास हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शक्ति जागरण का महीना माना जाता है। इस मास में शिव उपासना के साथ-साथ देवी शक्ति की आराधना का भी विशेष महत्व होता है। इन्हीं दिव्य स्तुतियों में से एक है "श्री भगवती स्तोत्रम्", जिसे दुर्गा सप्तशती या देवी महामाया की आराधना से जोड़ा जाता है। सावन के महीने में इस स्तोत्र का जाप करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है।
क्या है श्री भगवती स्तोत्रम्?
श्री भगवती स्तोत्रम् एक संस्कृत रचना है जो देवी दुर्गा या भगवती के विविध रूपों की महिमा का बखान करती है। इसमें भगवती के तेज, पराक्रम, करुणा और रक्षण शक्ति का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम है, बल्कि इससे नकारात्मक ऊर्जा, भय, रोग, शत्रु बाधा आदि का भी शमन होता है।
सावन में श्री भगवती स्तोत्रम् का जाप क्यों करें?
सावन शिव का महीना है, लेकिन शिव की आराधना तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती जब तक शक्ति (मां दुर्गा/पार्वती) की उपासना न की जाए। इस महीने में भगवती स्तोत्रम् का पाठ करने से साधक को शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है। यह मानसिक शांति, आत्मबल और स्वास्थ्य लाभ देने वाला माना जाता है।
जाप करने की सही विधि:
प्रातःकाल या संध्या समय चुनें: जाप के लिए ब्रह्ममुहूर्त या सूर्योदय से पूर्व का समय श्रेष्ठ होता है। संध्या काल (6 से 7 बजे के बीच) भी उपयुक्त रहता है।
शुद्धता का ध्यान रखें: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और किसी शांत स्थान पर आसन लगाकर बैठें।
मां भगवती की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं, हल्दी, कुमकुम, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
मंत्र उच्चारण स्पष्ट और ध्यानपूर्ण हो: मन, वचन और कर्म से एकाग्र होकर स्तोत्र का जाप करें।
संख्या पर ध्यान: आप प्रतिदिन कम से कम 11 बार या 21 बार जाप कर सकते हैं। नवरात्र या सावन के विशेष सोमवार को 108 बार जाप करने की परंपरा भी है।
श्री भगवती स्तोत्रम् का एक छोटा अंश:
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता॥
यह अंश भगवती के सर्वव्यापक स्वरूप को दर्शाता है कि वे प्रत्येक जीव में शक्ति के रूप में विराजमान हैं।
जाप के लाभ:
शारीरिक और मानसिक शांति: नियमित जाप से तनाव, चिंता और भय से मुक्ति मिलती है। नींद में सुधार होता है।
शत्रु और नकारात्मकता से रक्षा: भगवती की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाएं और शत्रु दोष दूर होते हैं।
कर्ज, दरिद्रता और रोग से मुक्ति: आर्थिक समस्याओं और शारीरिक बीमारियों से राहत मिलती है।
आत्मबल और विश्वास में वृद्धि: साधक के भीतर आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास उत्पन्न होता है।
ग्रहदोष शांति: विशेष रूप से राहु-केतु और मंगल दोष में यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी माना गया है।
किन लोगों को अवश्य करना चाहिए ये जाप?
जो मानसिक अशांति, डर, आर्थिक तंगी या पारिवारिक कलह से जूझ रहे हैं।
जो विद्यार्थियों, महिलाओं और गृहस्थों के लिए आत्मिक बल और मानसिक एकाग्रता बढ़ाना चाहते हैं।जिनकी कुंडली में ग्रहदोष हैं और नियमित पूजा से समाधान चाहते हैं।