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सावधान! सावन में भूलकर भी अर्पित ना करे ये चीजें वरना लग सकता है भारी दोष, वीडियो में जाने पूजा के नियम और सावधानियां 

 

सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दौरान लाखों भक्त व्रत रखते हैं, कांवड़ यात्रा करते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक व पूजा करते हैं। लेकिन शिव पूजा के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना बेहद ज़रूरी है। अगर अनजाने में भी शिवलिंग पर कुछ गलत चीज़ें अर्पित की जाएँ, तो उसका परिणाम विपरीत हो सकता है और दोष भी लग सकता है। आइए जानते हैं, सावन में शिवलिंग पर कौन सी चीज़ें भूलकर भी नहीं चढ़ानी चाहिए।

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मान्यता के अनुसार, शिवलिंग पर कौन सी चीज़ें भूलकर भी नहीं चढ़ानी चाहिए?
हल्दी

हल्दी का प्रयोग अक्सर शुभ कार्यों में किया जाता है और यह भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं को प्रिय है। लेकिन भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हल्दी का संबंध सुंदरता और सौभाग्य से है, जबकि भगवान शिव त्याग और बलिदान के प्रतीक हैं। हल्दी का प्रयोग स्त्रियाँ अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए करती हैं, और शिवलिंग को पुरुष तत्व का प्रतीक माना जाता है। इसलिए शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना अशुभ माना जाता है।

सिंदूर या कुमकुम
सिंदूर या कुमकुम वैवाहिक सुख का प्रतीक है और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए इसका प्रयोग करती हैं। इसे देवी-देवताओं को भी अर्पित किया जाता है, लेकिन भगवान शिव को सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव संहार के देवता हैं और उन्हें संहारक भी कहा जाता है। सिंदूर सौभाग्य का प्रतीक है और शिव को प्रायः एक तपस्वी के रूप में देखा जाता है। उनकी पूजा में इस प्रकार की सामग्री का प्रयोग वर्जित माना जाता है।

तुलसी के पत्ते
तुलसी के पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है और भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है। लेकिन शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते चढ़ाना वर्जित है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार, जालंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा एक पतिव्रता स्त्री थी और अपने सतीत्व के कारण कोई भी जालंधर को नहीं मार सकता था। भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रत धर्म भंग कर दिया, जिसके बाद वृंदा तुलसी बन गईं। चूँकि जालंधर का वध भगवान शिव ने किया था, इसलिए वृंदा यानी तुलसी ने उसे श्राप दिया कि वह शिव की पूजा में कभी भी इस्तेमाल नहीं की जाएगी।

केतकी का फूल
केतकी का फूल सफेद और सुगंधित होता है, लेकिन इसे शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया था। इस दौरान एक विशाल ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ और यह तय हुआ कि जो भी इसका आदि या अंत पता लगा लेगा, वही श्रेष्ठ कहलाएगा। ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को यह झूठ बोलने के लिए राजी कर लिया कि वे उनके साथ ज्योतिर्लिंग का आदि खोजने गए थे। इस झूठ के कारण, भगवान शिव ने केतकी के फूल को श्राप दिया कि उनकी पूजा में कभी इसका प्रयोग नहीं किया जाएगा।

टूटे हुए चावल
चावल को अक्षत कहा जाता है और इसे शुभ माना जाता है। लेकिन शिवलिंग पर हमेशा साबुत चावल ही चढ़ाना चाहिए। टूटे या खंडित चावल चढ़ाना अशुभ माना जाता है। पूजा में खंडित सामग्री का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह अपूर्णता का प्रतीक है।

शंख से जल
भगवान शिव की पूजा में शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था, जो भगवान विष्णु का भक्त था। शंख, शंखचूड़ की हड्डियों से बना था, इसलिए भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित है। भगवान विष्णु की पूजा में शंख का प्रयोग शुभ माना जाता है।

टूटा हुआ बेलपत्र
भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है, लेकिन शिवलिंग पर टूटा हुआ, कीड़ा लगा हुआ या सूखा बेलपत्र चढ़ाना दोषकारक माना जाता है। पूजा में बेलपत्र को साफ करना और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण माना जाता है कि उसके तीनों पत्ते पूरी तरह जुड़े हुए हों।