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गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ करने से पहले वीडियो में जरूर जान ले वो 7 गलतियां, वरना व्यर्थ जाएगा जाप और नहीं मिलेगा बप्पा का आशीर्वाद

 

गणपति बप्पा यानी भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य देवता माना गया है। कोई भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ, यात्रा या मांगलिक कार्य गणेश वंदना के बिना प्रारंभ नहीं किया जाता। श्रीगणेश के कई मंत्र, स्तोत्र और स्तुतियाँ हैं, जिनमें "गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम्" का पाठ अत्यंत प्रभावशाली और फलदायक माना गया है। इसमें भगवान गणेश के बारह नामों का उच्चारण किया जाता है, जो विशेष रूप से संकटों से मुक्ति, विद्या, बुद्धि और विघ्ननाश के लिए अचूक माने जाते हैं।हालांकि, शास्त्रों के अनुसार अगर इस स्तोत्र का पाठ सही विधि से न किया जाए या पाठ करते समय कुछ जरूरी सावधानियां न बरती जाएं, तो इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। बल्कि कई बार तो वांछित फल के स्थान पर मानसिक बेचैनी या बाधाएं भी बढ़ सकती हैं। आइए जानते हैं कि गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ करते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

<a href=https://youtube.com/embed/wZF27yK0p68?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/wZF27yK0p68/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् | Ganesh Dwadashanaam Stotram | पंडित श्रवण कुमार शर्मा द्वारा" width="695">
क्या है गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम्?
यह स्तोत्र भगवान गणेश के बारह रूपों की स्तुति है। प्रत्येक नाम का विशेष अर्थ और प्रभाव होता है। ये नाम हैं – सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्नराज, धूम्रवर्ण, भालचंद्र, विनायक, गणपति और गजानन। इन बारह नामों का स्मरण करने से व्यक्ति जीवन के बारह प्रमुख प्रकार के संकटों से मुक्त हो सकता है।

पाठ के समय ध्यान रखने योग्य मुख्य सावधानियां
1. शुद्धता का विशेष ध्यान रखें

पाठ से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धि अत्यंत आवश्यक है। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्थान भी साफ-सुथरा होना चाहिए। गंदे स्थान या बिना नहाए पाठ करने से मंत्र शक्ति निष्क्रिय हो सकती है।

2. बिना गुरु के न करें प्रयोगात्मक पाठ
यदि आप मंत्रों की गहराई और विधि से परिचित नहीं हैं, तो किसी ज्ञानी ब्राह्मण या गुरु से इसकी विधि अवश्य समझ लें। मंत्रों का प्रभाव बहुत सूक्ष्म होता है और गलत उच्चारण या विधि से नकारात्मक प्रभाव भी संभव है।

3. सही उच्चारण और श्रद्धा जरूरी है
"गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम्" संस्कृत में रचित है। इसका सही उच्चारण जरूरी है क्योंकि हर नाम की ध्वनि ऊर्जा के स्तर पर कार्य करती है। गलत उच्चारण से लाभ नहीं मिलता।

4. पाठ का समय और स्थान स्थिर रखें
प्रतिदिन यदि आप इसका पाठ कर रहे हैं तो समय और स्थान एक जैसा रखना अधिक फलदायक होता है। विशेष रूप से सूर्योदय के समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर के बैठें।

5. भक्ति और एकाग्रता अत्यंत आवश्यक
पाठ करते समय मन भटका हुआ नहीं होना चाहिए। ध्यान रखें कि आप सिर्फ उच्चारण नहीं कर रहे, बल्कि देवता के स्वरूप को स्मरण और आह्वान कर रहे हैं। भावहीन पाठ से फल नहीं मिलता।

6. शब्दों में हंसी या मजाक न करें
कई बार लोग स्तोत्रों का पाठ मोबाइल ऐप्स या वीडियो के माध्यम से करते हैं और साथ ही मज़ाक या बातचीत भी करते रहते हैं। ऐसा करना एक आध्यात्मिक अपराध माना जाता है और इसका परिणाम अशुभ हो सकता है।

7. खाली पेट या सात्विक भोजन के बाद करें पाठ
जप से पहले या तो उपवास रखें या हल्का, सात्विक भोजन लें। मांसाहार, शराब, लहसुन-प्याज जैसे तमसिक भोजन के बाद इस प्रकार के स्तोत्र का जप वर्जित माना गया है।

8. पाठ के बाद आभार और प्रार्थना अवश्य करें
पाठ पूरा करने के बाद भगवान गणेश को आभार अर्पित करें और मन ही मन प्रार्थना करें कि आपकी वाणी और भावना में कोई त्रुटि हो तो वह क्षमा करें।

इन विशेष अवसरों पर करें पाठ, मिलेगा अधिक फल
गणेश चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, बुधवार और अंगारकी चतुर्थी के दिन इसका पाठ अत्यंत शुभ माना गया है।
किसी नए काम की शुरुआत, परीक्षा, साक्षात्कार या व्यवसायिक योजना से पहले यह स्तोत्र पढ़ना बहुत लाभकारी होता है।
बच्चों की पढ़ाई, स्मरण शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि हेतु भी इसका जप उपयोगी है।

पाठ से मिलने वाले प्रमुख लाभ
जीवन में आ रहे बार-बार के विघ्न दूर होते हैं।
पढ़ाई और करियर में सफलता के योग बनते हैं।
मानसिक तनाव, भय और अनिश्चितता कम होती है।
वाणी और विचारों में स्पष्टता आती है।
संतान संबंधी बाधाओं का निवारण होता है।
कार्यों में सफलता और सम्मान की प्राप्ति होती है।

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् केवल एक मंत्र संग्रह नहीं, बल्कि एक ऊर्जावान आध्यात्मिक कवच है। परंतु इसका लाभ तभी संभव है जब इसका पाठ श्रद्धा, विधिपूर्वक और सावधानी से किया जाए। मंत्रों की शक्ति बहुत सूक्ष्म होती है, अतः उनके साथ अनुशासन और आस्था अनिवार्य है। यदि आप सही नियमों के साथ इस स्तोत्र का जप करेंगे, तो निश्चित ही भगवान गणेश की कृपा से जीवन की हर कठिनाई सरल हो जाएगी।