आखिर क्यों चूहों की पूजा के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है करणी माता का यह चमत्कारी मंदिर? हत्या या चोट पहुंचाने पर मिलती है ये सजा
राजस्थान के बीकानेर में स्थित करणी माता के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था है। हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अवसर पर यहां मेला लगता है। इस मेले में हजारों की संख्या में भक्त आते हैं और माता के दरबार में माथा टेकते हैं। स्थानीय लोगों की मान्यताओं के अनुसार करणी माता दुर्गा माता का अवतार हैं। करणी माता चारण जाति की योद्धा ऋषि थीं। तपस्वी का जीवन जीते हुए यहां रहने वाले लोगों के बीच उनकी पूजा की जाती थी। तो आइए अब करणी माता मंदिर से जुड़ी अन्य मान्यताओं के बारे में जानते हैं।
करणी माता मंदिर में भक्तों को मिलता है चूहों का बचा हुआ प्रसाद
करणी माता मंदिर में आने वाले भक्तों को चूहों का बचा हुआ प्रसाद दिया जाता है। यह इस मंदिर की पवित्र प्रथा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार करणी माता के पुत्र लक्ष्मण सरोवर से पानी पीते समय डूब गए थे। जब माता को इस बात का पता चला तो उन्होंने मृत्यु के देवता यमराज से लक्ष्मण को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की, जिसके बाद यमराज को मजबूर होकर चूहे का रूप धारण कर उन्हें पुनर्जीवित करना पड़ा। मान्यताओं के अनुसार मंदिर में मौजूद इन चूहों को करणी माता के पुत्रों का अवतार माना जाता है।
करणी माता मंदिर में चूहों को चोट पहुंचाना या मारना महापाप माना जाता है
करणी माता के मंदिर में हजारों चूहे हैं। इस मंदिर में चूहे खुलेआम घूमते रहते हैं। इस मंदिर में काले और सफेद दोनों तरह के चूहे पाए जाते हैं, जिसमें सफेद चूहे को बहुत पवित्र माना जाता है। आपको बता दें कि यहां चूहों को गलती से भी चोट पहुंचाना या मारना महापाप माना जाता है। चूहों को मारने पर मृत चूहे की जगह सोने से बना चूहा रखना पड़ता है। इस मंदिर में लोग पैर उठाने की बजाय घसीटते हुए चलते हैं, ताकि कोई चूहा उनके पैरों के नीचे न आ जाए। इन चूहों की एक और खासियत यह है कि सुबह पांच बजे मंदिर में होने वाली मंगला आरती और संध्या आरती के दौरान चूहे अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर को चूहों वाली माता, चूहों का मंदिर और मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।