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आखिर कौन थी करणी माता और किसने करवाया था मंदिर का निर्माण ? 3 मिनट के दुर्लभ वीडियो में देखे सदियों पुराना इतिहास 

 

आज हम राजस्थान के उस मंदिर के बारे में बात करेंगे, जो अपने आप में काफी अद्भुत है। यहां भगवान से ज्यादा चूहे हैं। इस मंदिर की खास बात ये है कि इसे चूहों का मंदिर भी कहा जाता है। जी हां, अगर आप इस मंदिर में जाएंगे तो आपको हर जगह चूहे ही चूहे नजर आएंगे और इनकी संख्या हजारों में है। मंदिर के पुजारी की मानें तो यहां चूहों की संख्या 30000 से भी ज्यादा है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/5cO6MHx6w58?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/5cO6MHx6w58/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="करणी माता मंदिर, बीकानेर का इतिहास, मान्यता, चूहों का रहस्य, चूहों वाले मंदिर की वजह और पौराणिक कथा" width="695">

अब तक आप समझ ही गए होंगे कि हम किस मंदिर की बात कर रहे हैं, तो हम बात कर रहे हैं करणी माता मंदिर की... जो बीकानेर शहर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित है। इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और माता से आशीर्वाद लेते हैं। यहां इतने चूहे होने के बावजूद भी ना तो बदबू आती है और ना ही ये किसी को नुकसान पहुंचाते हैं। दिल्ली मेट्रो का कोलकाता मेट्रो की जिम्मेदारी लेने का प्रस्ताव, क्या ₹5 में मेट्रो से सफर करने के दिन खत्म हो जाएंगे? दिल्ली मेट्रो का कोलकाता मेट्रो की जिम्मेदारी लेने का प्रस्ताव, क्या ₹5 में मेट्रो से सफर करने के दिन खत्म हो जाएंगे?

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करणी माता का इतिहास

बीकानेर और आस-पास के इलाकों के लोग करणी माता को देवी दुर्गा का अवतार मानते हैं। करणी माता चारण जाति की एक योद्धा महिला थीं, जिनका बचपन का नाम रिघुबाई था। विवाह के बाद माता का सांसारिक मोह-माया से मोह भंग हो गया और उन्होंने तपस्वी का जीवन जीते हुए लोगों की सेवा भी की। इतिहास पर नजर डालें तो माता का जन्म 1387 ई. में हुआ था और वे करीब 150 साल तक जीवित रहीं।

करणी माता मंदिर का रहस्य

इस मंदिर में हजारों चूहे हैं, इनमें कुछ सफेद चूहे भी हैं, जिन्हें करणी माता और उनके बेटे बताया जाता है। इसीलिए इस मंदिर में चूहों को भगवान माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इतना ही नहीं, मंदिर में मिलने वाला प्रसाद भी चूहे ही छोड़ते हैं। लेकिन आज तक इनसे किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं फैली है। दिल्ली और गुरुग्राम के बीच की दूरी कम करने के लिए बनेगा नया 6 लेन एक्सप्रेसवे दिल्ली और गुरुग्राम के बीच की दूरी कम करने के लिए बनेगा नया 6 लेन एक्सप्रेसवे

करणी माता मंदिर की वास्तुकला

करणी माता मंदिर की वास्तुकला मुगल शैली की तरह दिखती है। यह मंदिर सुनने में जितना रहस्यमयी और रोचक लगता है, उतना ही खूबसूरत भी है।

करणी माता ने कब ली थी समाधि?

इसका कोई सटीक प्रमाण तो नहीं है, लेकिन किवदंती की मानें तो कहा जाता है कि 1538 ई. में एक बार माता अपने पुत्रों और अनुयायियों के साथ कहीं से देशनोक लौट रही थीं, तभी उन्होंने सभी को बीकानेर जिले के गडियाल के पास पानी पीने के लिए रुकने को कहा और वहीं से माता अंतर्ध्यान हो गईं।

करणी माता किसकी कुलदेवी हैं?

करणी माता बीकानेर और जोधपुर के राजघराने की कुलदेवी हैं। इसीलिए पूरे बीकानेर और जोधपुर के लोग भी करणी माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

करणी माता का ससुराल

कहते हैं कि करणी माता का विवाह साठिका गांव के किपोजी चरण नामक व्यक्ति से हुआ था, जिसके विवाह के बाद माता ने तपस्वी जीवन में प्रवेश किया और अपनी छोटी बहन गुलाब का विवाह उसके पति से करवा दिया। माता गुलाब के पुत्रों को अपने पुत्रों के समान मानती थीं।

किसने बनवाया करणी माता मंदिर?

करणी माता मंदिर के निर्माण का कोई सटीक प्रमाण तो नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1620 ई. से 1628 ई. के बीच हुआ था। इस मंदिर का निर्माण महाराजा कर्ण सिंह ने करवाया था। लेकिन कई सालों तक यह मंदिर वीरान पड़ा रहा। हालांकि, कुछ लोग यह भी कहते हैं कि मंदिर करीब 600 साल पुराना है। हालांकि, 19वीं और 20वीं सदी में इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया, जो मंदिर का वर्तमान स्वरूप है।