आखिर सदैव किसके ध्यान में लीन रहते है महादेव ? वीडियो में जानिए इस रहस्य से जुड़ी अद्भुत पौराणिक मान्यताएं और गूढ़ संकेत
हिंदू धर्म में भगवान शिव का विशेष महत्व माना जाता है। सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस महीने में भक्त भगवान शिव की कृपा पाने के लिए उनकी भक्ति में लीन रहते हैं। भगवान शिव को आदियोगी और आदिनाथ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि भोलेनाथ प्रथम योगी और प्रथम गुरु हैं। इसके साथ ही भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता माने जाते हैं जो सभी देवों के भी देव हैं। इसीलिए भगवान शिव को महादेव के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव की अधिकतर मूर्तियों और तस्वीरों में उन्हें तपस्या में लीन दिखाया जाता है। अब सवाल यह उठता है कि जब भगवान शिव सभी देवों के भी देव हैं तो वे किसकी तपस्या या ध्यान में हर समय लीन रहते हैं। आखिर वे कौन से देवता हैं जिनका ध्यान महादेव हर समय करते रहते हैं। इसका वर्णन शिव पुराण ग्रंथ में किया गया है।
इन देवताओं के ध्यान में लीन रहते हैं भोलेनाथ
भगवान शिव किसके ध्यान में लीन रहते हैं, इस विषय का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है। शिव पुराण की कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे। कुछ देर बाद जब वे गहन ध्यान से उठे तो माता पार्वती ने उनसे पूछा, स्वामी आप तो देवों के देव हैं, इसीलिए आपको देवाधिदेव महादेव कहा जाता है, फिर आप हर समय किसके ध्यान में लीन रहते हैं। तब भगवान शिव ने मुस्कुराते हुए माता पार्वती से कहा कि वे शीघ्र ही उनके प्रश्न का उत्तर देंगे। इसके बाद शिव ने कौशिक ऋषि के स्वप्न में दर्शन दिए और उन्हें राम रक्षा स्तोत्र लिखने का आदेश दिया। कौशिक ऋषि ने स्वप्न में ही भगवान शिव से निवेदन किया कि वे राम रक्षा स्तोत्र लिखने में समर्थ नहीं हैं। यह सुनकर भगवान शिव ने कौशिक ऋषि को दिव्य ज्ञान प्रदान किया। दिव्य ज्ञान प्राप्त करने के बाद कौशिक ऋषि ने राम रक्षा स्तोत्र की रचना की। इसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को बुलाकर राम रक्षा स्तोत्र का पाठ किया। उन्होंने माता पार्वती से कहा कि वे भगवान राम का ध्यान करते हैं और उनकी तपस्या में लीन रहते हैं। शिवजी ने यह भी समझाया कि राम नाम लेने का महत्व इतना है कि एक बार राम नाम जपने से ही उसी व्यक्ति को मोक्ष मिल जाता है। विष्णु जी के हजार नामों के जप से जो फल मिलता है, वही फल विष्णु जी के हजार नामों के जप से मिलता है।
अन्य मान्यताएँ
शिव पुराण में भगवान शिव के ध्यान के बारे में विभिन्न कहानियाँ और किस्से मिलते हैं, जो थोड़े अलग हैं। शिव पुराण की विद्येश्वर संहिता में कहा गया है कि भगवान शिव भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं।
निर्गुण ब्रह्म का ध्यान
शिव पुराण की रुद्र संहिता में कहा गया है कि भगवान शिव निर्गुण ब्रह्म या परम सत्य का ध्यान करते हैं। इसके अनुसार भगवान शिव सभी गुणों और रूपों से परे हैं और वे अनंत और अविनाशी हैं।
भक्तों का ध्यान
शिव पुराण की कैलाश संहिता में कहा गया है कि भगवान शिव अपने भक्तों का ध्यान करते हैं। इसके अनुसार भगवान शिव अपने भक्तों की प्रार्थना सुनते हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं।
स्वयं का ध्यान
शिव पुराण की वायुपुराण संहिता में कहा गया है कि भगवान शिव स्वयं का ध्यान करते हैं। इसके अनुसार भगवान शिव सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं, उनका कोई आदि और अंत नहीं है। वे किसी और का नहीं बल्कि स्वयं का ध्यान करते हैं।