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अब ब्रेस्ट कैंसर से बिल्कुल ना घबराएं, घर बैठे-बैठे खाएं तीखी मिर्ची

 

स्तन कैंसर के इलाज के लिए वैसे तो कई मेडिकल सुविधा आजकल मौजूद है पर एक नए अध्ययन से पता चला है कि घरेलू स्तर पर भी हम इस बचने के उपाय कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि मिर्च और मिर्च जैसे कड़वे पदार्थ खाने से सक्रिय स्तन कैंसर की कोशिकाओं का विकास होने में रोक लग जाती है। और ट्यूमर कोशिकाओं को बड़ी संख्या में मारने में मदद करते हैं।

स्तन कैंसर और थेरेपी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पता चला कि मसालेदार अणु कैप्सैसिन स्तन कैंसर की कोशिकाओं में एक निश्चित रिसेप्टर को सक्रिय कर सकता है, जिसे टीपीआरवी-1 कहा जाता है, जिससे कैंसर कोशिकाएं धीरे धीरे विभाजित होने लगती है और बड़ी संख्या में मर जाती हैं। अगर हम विशिष्ट दवाओं के साथ टीआरपीवी-1 रिसेप्टर पर स्विच कर सकते हैं, तो इस तरह से यह कैंसर के उपचार के लिए एक नया दृष्टिकोण हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने देखा कि टीआरपीवी-1 रिसेप्टर, जो तथाकथित क्षणिक रिसेप्टर है, आमतौर पर पांचवीं कपाल तंत्रिका में पाया जाता है। ट्यूमर कोशिकाओं में टीआरपीवी-1 रिसेप्टर के अस्तित्व को स्तन कैंसर से पीड़ित रोगियों के नौ अलग-अलग नमूनों द्वारा पुष्टि की गई। टीआरपीवी-1 रिसेप्टर को कई घंटों या दिनों की अवधि के लिए मसालेदार अणु कैप्सैसिइन को जोड़कर सक्रिय किया गया था। ये भी पढ़ें तानाशाह हिटलर का ऐसा घिनौना काम जो इतिहास के पन्नों में भी नहीं, अपनी सेना के एक-एक सैनिक को नशीले इंजेक्शन लगा करता था ऐसी दरिंदगी जो आपने न सुनी होगी न देखी होगी

शोधकर्ताओं ने देखा कि टीआरपीवी-1 रिसेप्टर की सक्रियता के कारण कैंसर कोशिकाओं में धीरे-धीरे विभाजन होना शुरू हो जाता है। ट्यूमर कोशिकाएं जो कैप्सैसिइन उपचार से बच जाती हैं वो अब आगे उतनी तेज़ी से बढ़ने में सक्षम नहीं होती है। इसके कारण, शरीर में मेटास्टेस बनाने के लिए कैंसर की कोशिकाओं की क्षमता बाधित हो गई थी।

आपको बता दें कि 2013 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में 230,815 महिलाओं और 2,109 पुरुषों को स्तन कैंसर का पता चला था।

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