×

धर्म के बिना विज्ञान सिर्फ विनाश है, जानिए दोनों का आपसी संबंध

 

जयपुर। विज्ञान और धर्म को लेकर अक्सर कई सदियों से विवाद चलता आ रहा है। वैज्ञानिक और धर्म गुरू एक दूसरे के विपरीत खड़े हुए दिखाई देते हैं। सबको लगता है कि दोनों अपने अपने क्षेत्र में महारथी है, लेकिन हकीकत तो यह है कि यदि विज्ञान के साथ धर्म नहीं होगा तो इससे विकास नहीं बल्कि सिर्फ विनाश होगा। जी हां, विज्ञान का काम है गति देना, जबकि धर्म दिशा देता है। विज्ञान के बगैर जीवन संभव है, लेकिन  धर्म के बिना आदमी भटक जाएगा। विज्ञान के द्वारा विकास होने के लिए धर्म का मार्गदर्शन है।

यह शीत युद्ध आज से ही नहीं चल रहा हैं, बल्कि प्राचीन काल से ही दोनों पक्षों में खींचतान चलती आ रही हैं। भौतिकी के साथ अगर अध्यात्म नहीं होगा तो वह केवल प्रलय का कारण बनकर रह जाएगा। विज्ञान का दुरूपयोग पाप माना जाता है। ऐसे में बिना धर्म के केवल विज्ञान के सहारे जीवन की नैया भव सागर से पार नहीं की जा सकती है। बता दे कि धर्म और विज्ञान एक दूसरे के प्रतिद्वंदी नहीं, बल्कि एक दूसरे के हमसफ़र है, एक दूसरे के पूरक है।

आजकल लोग अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी तकनीक से गर्भ में पल रहे भ्रूण के बारे में पता कर लेते हैं। अगर यहां पर धर्म का साया नहीं होगा तो यह पाप आम होने लग जाएगा। धर्म एक रहनुमा की तरह हमेशा विज्ञान को सही रास्ता दिखाता है। कई बार इंसान ने धर्म को भुलाकर केवल विज्ञान के दम पर जीवन जीने की कोशिश की है, लेकिन हर बार उसका खामियाजा पूरी सृष्टि को भुगतना पड़ता है।

हकीकत की अगर बात की जाए तो विज्ञान और धर्म एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों के बीच कोई होड़ हो ही नहीं सकती है। अगर कोई यह होड़ करवाता है तो वह अपने विनाश को निमंत्रण दे रहा है। विज्ञान में जो भी रिसर्च किए जाते हैं, धर्म उन्हें पहले से ही जानता है। हालांकि विज्ञान के क्षेत्र में कोई भी सत्य अंतिम सत्य नहीं माना जाता है। जबकि धर्म के मामले में हर सत्य का अपना एक अस्तित्व होता है। तो हमें इन दोनों का एक साथ पकड़कर चलना होगा, नहीं तो विनाश को दावत देने की गलती इंसान प्राचीन काल से करता आ रहा है।