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तो इस खोज की मदद से रोबोट और इंसान के दरमियां का फासला कम हो सकेगा

 

जयपुर। वैसे तो कुदरत ने हमें कई नायाब चीजों से नवाज़ा है, लेकिन अगर एक भी चीज का हिसाब देख जाए तो वैसी कृत्रिम चीज बना पाना नामुमकिन है। देखा जाए तो इंसानी त्वचा कुदरत का ऐसा कमाल है जिसके छूने से ही सारे एहसास मुकम्मल हो जाते हैं। लेकिन हाल ही में एक ऐसी कृत्रिम त्वचा विकसित की गई है जो कि कई इंसानी समस्याओं का समाधान कर देगी। जी हां, यह मशीनी चमड़ी बिल्कुल कुदरती त्वचा की ही कार्बन कॉपी है।

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बता दे कि इसे ग्लासगो विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रॉनिक्स और नैनोइंजीनियरिंग विषय के शोधकर्ताओं ने कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद बनाया है। गौरव की बात यह है कि इनमें एक भारतयी मूल का वैज्ञानिक भी शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक त्वचा की मदद से रोबोट और इंसान के बीच का फासला कम किया जा सकेगा।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस तरह के आविष्कार की मदद से कई लोगो को नई ज़िंदगी दी जा रही है। वैसे तो यह कृत्रिम त्वचा कैमिकल और आनुवांशिक इंजीनियरिंग का कमाल है, पर असल में इसे बनाने के पीछे रोबोट में इंसानी स्पर्श का एहसास पैदा करना है। मौजूदा रोबोट्स किसी को भी छूकर जो महसूस करते हैं, इस त्वचा के बाद वह दस गुना ज्यादा संवेदनशील बन जाएंगे।

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि है कि अब तक कृत्रिम त्वचा पर कई तरह के शोध पत्र विभिन्न जर्नल और किताबों में प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही इस संबंध में हेल्पिंग हैंड्स नामक एक गैर सरकारी संस्था भी लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है। 3डी प्रिंटेड सेंसिटिव प्रोस्थेटिक्स नामक तकनीक पर आधारित यह कृत्रिम स्किन आने वाले समय में दिव्यागों के लिए जीने की नई उम्मीद बनकर उभरेगी।