कोहरा क्यों पड़ता है? मौसम विज्ञान के हिसाब से जानिए बनने की वजह और इसके कहर से होने वाला नुकसान
सर्दियों में, उत्तर भारत कोहरे की चादर में लिपट जाता है। घना कोहरा दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा और पूरे गंगा के मैदान को ढक लेता है, जिससे विजिबिलिटी शून्य हो जाती है। इस साल दिसंबर में, कोहरे ने हवाई यात्रा, सड़क यातायात और खेती को बुरी तरह प्रभावित किया। आइए वैज्ञानिक तथ्यों से समझते हैं कि कोहरा कैसे बनता है, यह उत्तर भारत में ज़्यादा क्यों होता है, और इसका असर सबसे ज़्यादा कहाँ होता है।
कोहरा कैसे बनता है?
कोहरा हवा में मौजूद पानी की भाप का संघनन है। वैज्ञानिक रूप से, जब हवा का तापमान ओस बिंदु तक गिर जाता है, तो हवा में मौजूद नमी छोटे-छोटे पानी की बूंदों में बदल जाती है। ये बूंदें हवा में तैरती रहती हैं और कोहरा बनाती हैं।
रेडिएशन कोहरा: साफ़ रातों में, ज़मीन तेज़ी से ठंडी होती है (गर्मी इन्फ्रारेड रेडिएशन के ज़रिए अंतरिक्ष में चली जाती है)। ज़मीन के पास की हवा ठंडी हो जाती है और संतृप्त हो जाती है। यह सर्दियों में उत्तर भारत में सबसे आम प्रकार है।
एडवेक्शन कोहरा: गर्म, नम हवा ठंडी सतह पर चलती है, जैसे समुद्र से ठंडी ज़मीन पर।
अन्य: अपस्लोप कोहरा (हवा पहाड़ पर ऊपर चढ़ते समय ठंडी हो जाती है) या स्टीम कोहरा।
उत्तर भारत में, मुख्य रूप से रेडिएशन कोहरा बनता है, जो प्रदूषण के कणों (न्यूक्लिआई) पर पानी की बूंदों के संघनित होने से और घना हो जाता है।
उत्तर भारत में कोहरा ज़्यादा क्यों होता है?
उत्तर भारत में इंडो-गैंगेटिक प्लेन (IGP) की भौगोलिक स्थिति आदर्श है...
ठंडी सर्दियाँ और कम हवा: रात में तापमान तेज़ी से गिरता है। हवा शांत रहती है।
प्रदूषण: दिल्ली जैसे शहरों में, PM2.5 जैसे कण नमी को फंसा लेते हैं, जिससे कोहरा और घना हो जाता है।
नमी की उपलब्धता: गंगा और यमुना जैसी नदियाँ, सिंचाई और पश्चिमी विक्षोभ नमी में योगदान करते हैं।
सिंचाई का प्रभाव: हाल के दशकों में, दोहरी फसल से सिंचाई बढ़ी है, जिससे मिट्टी में ज़्यादा नमी आई है – इस तरह कोहरा बढ़ा है। हिमालय ठंडी हवा को रोक लेता है। दिसंबर-जनवरी में, विजिबिलिटी अक्सर 50 मीटर से कम हो जाती है।
कोहरा क्यों होता है?
कोहरा जीवन को प्रभावित करता है...
हवाई यात्रा: कम विजिबिलिटी के कारण रनवे पर विजिबिलिटी शून्य हो जाती है। 15 दिसंबर, 2025 को दिल्ली हवाई अड्डे पर 228 उड़ानें रद्द कर दी गईं, 5 डायवर्ट की गईं और सैकड़ों में देरी हुई। इंडिगो और एयर इंडिया ने एडवाइजरी जारी की। उत्तर भारत के कई हवाई अड्डे प्रभावित हुए। सड़क दुर्घटनाएं: कम विज़िबिलिटी के कारण चेन टक्करें होती हैं। 15 दिसंबर को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर कई गाड़ियां आपस में टकरा गईं, जिसमें 4-6 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी कई दुर्घटनाएं हुईं। इसका स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है – स्मॉग (कोहरा + प्रदूषण) से सांस की बीमारियां बढ़ जाती हैं।
खेती: ठंड और पाला फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। आलू, सब्जियां और सरसों प्रभावित होते हैं। कोहरा सूरज की रोशनी को रोक देता है, जिससे फोटोसिंथेसिस कम हो जाता है। पाला पत्तियों को जला देता है।
धुंध, कोहरा, ओस, पाला... क्या अंतर है?
धुंध: हल्का कोहरा, विज़िबिलिटी 1-2 किमी। नमी ज़्यादा लेकिन घना कम।
कोहरा: घना, विज़िबिलिटी 1 किमी से कम (घना कोहरा: 50 मीटर से कम)।
ओस: ठंडी सतह पर पानी की बूंदें जम जाती हैं (तापमान ओस बिंदु से ऊपर)।
पाला: तापमान 0°C से नीचे, ओस बर्फ के क्रिस्टल में जम जाती है। फसलों के लिए सबसे खतरनाक।
कोहरा प्राकृतिक है, लेकिन प्रदूषण इसे ज़हरीला बना देता है। धीरे गाड़ी चलाएं, फॉग लाइट का इस्तेमाल करें। IMD की चेतावनियों पर नज़र रखें। साफ़ हवा और सावधानी से नुकसान को कम किया जा सकता है।