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लोग अपने मस्तिष्क के बजाय गूगल पर क्यों कर रहे हैं अधिक भरोसा

 

जयपुर। आज का जमाना स्मार्ट बनता जा रहा है। तकनीकों का प्रयोग बढ़ रह है इंसान इंसानों में समय व्यतित करने के बजाये मशीनों के साथ आपना वक्त बिताते है। तकनीकों के इस जमाने में बहुत सी इंसान की सोचने समझने की क्षमता पर असर डाला है। इंसान अब कुछ कुछ तकनीकी दिमाग पालता जा रहा है। इसी तरह से अगर नजर गूगल पर डालते है तो यह इंसानों को स्मार्ट तो बना रहा है लेकिन इसी के साथ इसको दिमागी हालत से भी कमजोर कर रहा है। यह एक मुद्दा बन सकता है। आज लोग खुद काम करने की बजाय गूगल पर आसानी से पहुंच आसानी से काम कर रहे हैं।

लेकिन वहीं सूचनाओं की प्रोसेसिंग करना मस्तिष्क के लिए एक छोटा सा काम है। अगर हम गूगल और दिमाग में प्रतियोगिता करवाते है तो कौन जीतेगा यह कहना मुश्किल लगता है कि कैसे गूगल मस्तिष्क को पीछे छोड़ सकता है। गूगल ने आपको कितना बदला यह आप खुद फिल कर सकते हो। गूगल ने कई तरह से जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। इसमें तेजी से बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में गूगल किसी स्टडी को जांच करने की क्षमता देता है. वह बता देता है कि कौन सी स्टडी क्या कह रही है और यह आपके लिए कितनी अहम है।

इसी के साथ आपको बता दे कि लोग को निर्णय क्षमता भी इससे कमजोर हो रही है। वो अपने द्वारा किया गया सवाल के जबाव पर विश्वास ना करके गूगल जरूर करते है। लोगों को अपने आप के उपर भी विश्वास नहीं रहा है। डीन बर्नेट एक न्यूरोसाइंटिस्ट भी इसके बारे में कहते है कि गूगल के बारे में इस तरह के बयान देना सही ढंग से गलत हो सकता है लेकिन इसके बारे में शोध किया जाए तो हो सकता है कि इस बारे में सटिक कहा जा सकें।