वैज्ञानिकों ने काली जीभ को बताया बीमारी, अपशकुन से नकारा
जयपुर। भारत के लोगों की अन्य लोगों के प्रति तरह—तरह की सोच रहती है। लोगों को उनके अंगों के रंग या आकार के आधार पर शकुन या अपशकुन माना जाता है। भारत के कई ऐसे लोगों जो ये मान्यता रखते है कि काली जीभ वाले व्यक्ति अपशकुन होते है। लेकिन क्या आपको पता है कि ये सच में अपशकुन होते है।
आइए इसके बारे में वैज्ञानिकों की राय लेते हैं। वैज्ञानिक इसके बारे में बताते है कि काली जीभ वाले लोगों को अपशकुन से जोड़ना गलत होगा, क्योंकि ये एक प्रकार की बीमारी होती है, जो दुनिया के लगभग 13 प्रतिशत लोगों में पायी जाती है। डॉक्टर बताते है कि जीभ का काला होना शरीर से जुड़ी एक समस्या को बताता है।
हाल ही में इसके संबंध में रिसर्च किया गया तो पाया कि ये एक बहुत की रेयर यानि कम दिखने वाली समस्या है। इसमें जीभ काले रंग की हो जाती है और इसके साथ ही जीभ रोएदार दिखने लगती है। जीभ पर ऐसा महसूस होता है जैसे की बाल उग आये हो।
रिसर्च के दौरान एक 55 साल की महिला में ऐसा होना पाया गया जिस पर वैज्ञानिकों ने खास तौर पर ध्यान दिया। महिला की शिकायत के अनुसार कहा कि उसे कुछ मितली जैसा महसूस होता रहता है साथ ही उसके खाने के स्वाद में काफी फर्क बताया गया।
जब महिला की जीभ को गौर से देखा गया तो उसमें बाल जैसे कुछ दिखाई दे रहा था। इस बीमारी के बारे में डॉक्टर बताते है कि ये एक दर्दरहित और टेम्परेरी बीमारी होती है। अगर समय से पहले इस पर गौर कर लिया जाये तो इसका इलाज संभव रूप से हो सकता है।
हाल ही में वैज्ञानिकों ने काली जीभ के व्यक्तियों पर अध्ययन किया। अध्ययन के दौरान बताया गया कि व्यक्तियों में काली जीभ का होना एक बीमारी को बताता है। यह एक खास प्रकार की बीमारी होती है, जो दुनिया के 13 फीसदी लोगों में पायी जाती है। इस बीमारी को दर्दरहित और टेम्परेरी बताया गया है। वैज्ञानिकों ने काली जीभ को बताया बीमारी, अपशकुन से नकारा