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ग्लेशियर को बचाने के लिए कृत्रिम बर्फ का इस तरह से करेंगे इस्तेमाल

 

जयपुर। धरती का तापमान तेजी से बढ़ता जा रहा है और किस कारण से बढ़ रहा है ये भी अच्छे से जानते है। दुनियाभर के वैज्ञानिक और पर्यावरणविद्  इसको बचाने में लगे हुये है। इसके लिए लोगों को जागरूक कर रहे है। कई यूक्तियां लगाकर धरती को बचाने की कोशिश कर रहे है। लेकिन इनके करने से कुछ नहीं होता है सबको आगे आना होगा और मिल कर ये काम करना होगा। हर देश इनसे जूझ रहा है।और जो अपने में बन आ रह है करने कि कोशिश कर रहे है। इसी का एक उदाहरण है स्विट्जरलैंड।

जी हां बढ़ती हुई ग्लोबल वॉर्मिंग के असर से ग्लेशियर पिघल रहे है इसके लिए इनको पिघलने से रोकने लिए एक उपाय कर रहा है। स्विट्जरलैंड के मोर्टारथ्स ग्लैशियर बहुत तेजी से पिघलते जा रहे है। पिछले 157 सालों के दौरान यह हिमखंड करीब 3 किलोमीटर तक पीछे हट गया है। यहां के लोगों को मानना है कि इतने भयकर तरीके से ये पिघल रहे है तो हमारा डर बढ़ता जा रहा है और यही हाल रहा तो जल्द ही यह पूरे ग्लेशियर पिघल कर सार स्विट्जरलैंड पानी में समा जायेगा। लोगो की यह परेशान देख कर स्विट्जरलैंड की सरकार ने यूट्रैक्ट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक योहान्नस उरलमन्स से मदद से ग्लैशियर बचाने की एक योजना बानाई है।

और इसको लोगों के सामने रखी। आपको बता दे कि यह योजना हैरान करने वाली है और यही नहीं इसका खर्च भी बहुत आएगा। वैज्ञानिकों इस परेशानी का हल निकालते हुये बताया कि ग्लैशियर के ऊपर पर कुछ सेंटीमीटर मोटी कृत्रिम बर्फ की एक परत चढ़ाई जाएगी, जो कि सूर्य की तेज किरणों से इस हिमखंड की हिफाजत करने में मदद करेगी। ऐसा करने से आने वाले 20 साल के अंदर ग्लैशियर करीब 800 मीटर और लंबा हो जाएगा। इसके लिए करीब 4,000 बर्फ बनाने वाली मशीन की जरूरत पड़ेगी। देखते है ये इस  पर स्विट्जरलैंड सरकार कामयाब होती है या नहीं।