×

तप रही है धरती, ग्लोबल वार्मिंग के कारण और संभावित नतीजे जान लीजिए

 

जयपुर। इस दौर में ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कोई भी देश तड़का लगाकर जबर्दस्त जोशीला भाषण दे सकता है, मगर इस समस्या की तह तक जाने की हसरत किसी के पास नहीं है। क्योंकि लगातार बढ़ रही ग्रीनहाउस गैसों की वजह से पृथ्वी धीरे धीरे उबलती जा रही है। ध्रुवों पर बर्फ पिघल रही है। हर साल गर्मी का खौफनाक बढ़ता हुआ प्रभाव तो हम सब देख ही रहे है। पहले चार महीने की गर्मी अब 9 महीने की एक दीर्घकालिक ऋतु में तब्दील होकर इंसान को चेता रही है।

मगर इंसान है कि सोया हुआ है। अपनी ही तकनीकी तरक्की में खोया हुआ है। लेकिन हर साल दुगनी गति से यह वैश्विक तापन यानी के ग्लोबल वार्मिंग का महिषासुर बढ़ता ही जा रहा है। बता दे कि कार्बन का बढ़ता उत्सर्जन इन दिनों धरती को एक उबले हुए अंडे की तरह पहचान दे रहा है। गौरतलब है कि ग्रीन हाउस गैसों में मुख्यतः कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन, ओज़ोन आदि गैसें शामिल हैं। इनकी मात्रा में हो रहा लगातार इजाफा हमारी टेंशन में भी लगातार इजाफा कर रहा है।

इसे भी पढ़ लीजिए:- विज्ञापन के लिए सस्ते स्मार्टफोन चुरा रहे हैं आपका गोपनीय डाटा

हाल ही में साल 2018 को अब तक का सबसे गर्म साल बताया गया है। यह सिलसिला इसी तरह फ्यूचर में कई नेचुरल आपदाओं को हवा देगा। बता दे कि इंसानी लालच की पैदाइश यह ग्लोबल वार्मिंग के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। इन खतरनाक गैसों का उत्सर्जन मुख्यतः जीवाश्म ईंधनों के दहन, उद्योगों, मोटर वाहनों, धान के खेतों, पशुओं की चराई, रेफ्रीजरेटर, एयर-कंडीशनर आदि से फैल रहा हैं। यह हर साल बढ़ता ही जा रहा है।

इसे भी पढ़ लीजिए:- किसी दौर में काफी हरा-भरा था सहारा रेगिस्तान, होती थी बेशुमार…

इस ग्लोबल वार्मिंग की वजह से धीरे धीरे ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इस वजह से धरती पर कई शहर डूब सकते हैं। साथ ही समंदरों का जल स्तर भी काफी बढ़ रहा है। कई बार इससे अचानक बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती हैं। साथ ही इन दिनों बारिश के स्तर में भी आमूलचूल बदलाव देखने को मिल रहा है। तो दोस्तों अगर समस्या को हल करना है तो अपने अपने स्तर पर हमें कुछ न कुछ प्रयास तो करने ही होंगे।