×

पानी के बाहर ज़मीन पर घूमने वाली इस अनोखी मछली के बारे में जानिए

 

मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है। बचपन में यह कविता सबने पढ़ी सुनी होगी। आम तौर पर यह माना जाता है कि मछलियां पानी के बाहर जीवित नहीं रह सकती हैं, लेकिन कुछ मछलियों पर यह तथ्य लागू ही नहीं होता है। आम मछलियों को पानी से दूर करते ही उनकी मौत हो जाती है। लेकिन थाईलैंड में पाई जाने वाली मडस्किपर नामक मछली कुछ अलग ही मिट्टी की बनी है। दलदल में रेंगने वाली यह एक ऐसी मछली होती है, जो पानी के बाहर भी ज़िंदा रह सकती है। यह मछली दलदली ज़मीन पर रेंग-रेंगकर चलती है। यह मछली ज़मीन पर बाहर आकर कीडें, मकोड़ों को अपना शिकार बनाती है।

यह मेंढक और मगरमच्छ की तरह ही उभयचर प्राणी होती है। इस कारण यह जल और थल दोनों स्थानों पर रह सकती है। जीव वैज्ञानिकों की माने तो यह मछली एक एम्फीबियंस प्राणी है। गौरतलब है कि आम तौर पर मछलियां ज़मीन पर जीवित नहीं रह सकती हैं, लेकिन यह मडस्किपर मछली पानी के बाहर ज़िंदा रहने के साथ धरातल पर बड़े आराम से चलती है। थाईलैंड के नज़दीकी प्रशांत महासागरीय इलाके में मडस्किपर नामक यह मछली पाई जाती हैं। यह अनोखी मछली पानी के बाहर निकलकर घंटों तक धरती पर खेलती-कूदती रहती है।

चूंकि यह सामान्य मछलियों की प्रकृति के विपरीत स्वभाव रखती है, इसलिए इस मछली के शरीर की बनावट भी कुछ अलग ही होती है। इसका शरीर इस तरह से बना होता है कि यह पानी के अंदर और बाहर समान संतुलन बनाए रख सकती है। सोचने की बात है कि इसके शरीर में ऐसी क्या खास बात है? जो यह पानी के बाहर भी जीवित रह पाती है। दरअसल इसके शरीर में बने दो स्पंज पाउच की वजह से यह ऐसा कर पाने में सफल होती है। इन दो थैलेनुमा खोल में यह पानी भरकर ही ज़मीन पर उतरती है। उसी पानी के दम पर यह बाहर जीवित रह पाती है।

दोनों खोल में जमा किए पानी से यह मछली अपने गलफड़ों को गीला रखती है। जब दोनों थैलियों वाला पानी खत्म हो जाता है, या फिर सूख जाता है तो यह मछली अपने मुंह से ऑक्सीजन लेना शुरू कर देती है। इसी कारण यह मछली कई घंटों तक पानी के बाहर भी ज़िंदगी के मज़े लूटती है। दलदल में रहने वाली इस मछली की आंखें इसके सिर के ऊपरी हिस्से पर होती हैं। इस वज़ह से वो आकार में बड़ी लगती हैं।