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प्रकृति से प्रेरित ये नन्हें रोबोट्स अपने से 2000 गुना वज़नी वस्तु को खींच सकते हैं

 

जयपुर। रोबोट्स के द्वारा आजकल विभिन्न कार्य किये जा रहे हैं। छोटे रोबोट्स को माइक्रोबोट्स कहते हैं। स्टेनफॉर्ड यूनिवर्सिटी की बायोमैट्रिक्स एवं डेक्सट्रस मैनीपुलेशन लैब द्वार ये छोटे रोबोट्स विकसित किये जा रहे हैं। खिलौने की तरह दिखने वाले ये नन्हें रोबोट्स काफी उपयोगी साबित हो रहे हैं। इनमें बायोमिमिक्री तकनीक का उपयोग किया गया है। यह तकनीक प्रकृति की नकल करके बनाई जाती है। जैसे चींटियां समूह में कार्य करके अपनी क्षमता का विकास कर लेती हैं, ठीक उसी से प्रेरित होकर बायोमिमिक्री की तकनीक विकसित की जाती है।

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बायोमिमिक्री की मदद से ये टिनी रोबोट्स अपने से 2000 गुना भारी वज़न को उठा सकते हैं, एक जगह से दूसरी जगह पर रख सकते हैं। शोधकर्ताओं ने छह माइक्रोटग रोबोट्स जिनका वज़न मात्र 3.5 औंस था, उनकी मदद से एक कार को उठाया हैं। कार का भार एक टन यानि 3,900 पाउंड्स के लगभग था। इस कार्य की तुलना इस तरह की गई है कि जैसे छह व्यक्ति भारी भरकम एफिल टावर को हिलाने की कोशिश कर रहे हो, या स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी के तीन गुना भार को एक जगह से दूसरी जगह खिसकाने का प्रयत्न कर रहे हो।

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डेविड क्रिस्टीन नामक स्नातक छात्र ने यह जानकारी दी, जो माइक्रोटग रोबोट्स पर लिखे गये शोधपत्र के सह-लेखक भी है। इस तकनीक में प्रकृति से दो मुख्य तत्व लिये गये हैं, जिस वज़ह से ये रोबोट्स अपने से भारी वस्तुओं को खींचने में सक्षम हो पाते हैं। चींटियों से प्रेरित टीमवर्क इन रोबोट्स में लिया गया है। चींटियां अपनी कॉलोनी में जिस तरह से टीम के रूप में कार्य करती है, उसकी मदद से वो अपने से भारी वज़न को खींचने में सक्षम हो पाती हैं।