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आसमान में हैं कई तारे और हर तारे की अलग कहानी

 

जयपुर। आपने हर रात्रि में आसमान में सितारों को देखे होगे है। समें आपने ध्रुव तारा, सप्तऋषि मंडल भी देखा होगा। आसमान में देखने पर जो टिमटिमाते बिन्दु जैसे तारे दिखायी देते है वो अंतरिक्ष में हमारे सूर्य जैसे विशाल होते है। इनमें से कुछ तो सूर्य से हज़ारों गुणा बड़े और विशालकाय है और इनका द्रव्यमान भी आधिक होता है। ये तारे हमारी पृथ्वी से हज़ारों अरबों किमी दूर स्थित है इसी कारण से यह इतने छोटे दिखाई देते है।  आपको शायद पता नहीं होगा कि एक तारा एक विशालकाय चमकता हुआ गैस का पिण्ड होता है जो गुरुत्वाकर्षण के कारण बंधा हुआ रहता है।

जैसा कि हम जानते है कि सूर्य पृथ्वी की अधिकतर ऊर्जा का श्रोत है। आपको बता दे कि एक कारण हमारा वायुमंडल में होने वाला प्रकाश किरणो का विकिरण है जो धूल के कणों से सूर्य की किरणों के टकराने से उत्पन्न होता है। यही विकिरण वायु मण्डल को ढंक लेता हैं जिससे हम दिन में तारे नहीं देख पाते है। ऐतिहासिक की नजर से इन तारों को देखते है तो इनको राशि के रूप में देखा जाता है। जैसे सिंह राशि, तुला राशि, व्याघ्र, सप्तऋषि यह सभी तारों के समुह आदि। धरती से देखने पर यह तारे बहुत ही पास दिखाई देते है लेकिन सच तो यह है कि इसके मध्य में दूरी सैकड़ों हज़ारों प्रकाश वर्ष होती है। आपको बता दे कि एक प्रकाश वर्ष का अर्थ है प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की गयी दूरी, यह सेकंड मे लगभग तीन लाख किमी की दूरी तय करता है। तारे अपने जीवन के अधिकतर काल में हायड्रोजन परमाणुओ के संलयन से प्राप्त उर्जा से चमकते रहते है। और कई भारी तत्वों का निर्माण भी करते है।

जब इन तारों में हायड्रोजन खत्म हो जाती है तब इन तारों की भी मृत्यु हो जाती है। तारों की मृत्यु के प्रक्रिया में नाभिकीय संलयन से अधिक भारी तत्वों जैसे कार्बन , खनिजों का निर्माण होता है जो हमारे जीवन के लिये आवश्यक है। तारों की मृत्यु भी नया जीवन देती है ! एक मृत तारा अपनी मृत्यु के दौरान नये तारे को भी जन्म दे सकता है या एक भूखे श्याम विवर (Black Hole) मे भी बदल सकता है। हमारा सूर्य भी ऐसे किसी तारे की मृत्यु के दौरान बना था, उस तारे ने अपनी मृत्यु के दौरान न केवल सूर्य को जन्म दिया साथ में जीवन देने वाले आवश्यक तत्वों का भी निर्माण किया था।