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इस कृत्रिम द्विप पर स्थापित किया जा रहा है पवन ऊर्जा सयंत्र

 

जयपुर। इंसान तकनीक की मदद से कई तरह के कारनामे कर रहा है। इसी तरह से समुद्र के भीतर 2.3 वर्ग मीटर क्षेत्र में कृत्रिम द्वीप बनाया और अब तकनीक की मदद से वो पवन ऊर्जा सयंत्र स्थापित करने का विचार कर रहा है लेकिन ये सब करने से पहले प्रमुखतया दो बातों का ध्यान रखना जरूरी है पहले तो ये कि उस क्षेत्र का संपूर्ण उपयोग और दूसरा कि पवन ऊर्जा का व्यापक उत्पादन। 

आपको जानकारी दे दे कि डच देश नीदरलैंड ने उत्तरी सागर में एक महत्वाकांक्षी विंड पावर प्रॉजेक्ट स्टार्ट किया है। बता दे कि यह 30 गीगा वाट क्षमता का है और विंड फार्म का क्षेत्रफल न्यूयॉर्क शहर के बराबर है तो आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हो कि यह यूरोपीय देशों में सबसे ज्यादा क्षमता वाला प्लांट बन चुका है। बता दे कि ये पूर्वी यॉर्कशायर तट के पास स्थित है, जिसे डॉगर बैंक के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दे कि इसे TenneT’s परियोजना कहते है। इंजिनियरस को इस क्षेत्र में पवन चक्कियाँ स्थापित करने में बहुत मुश्किल आई थी,

क्योंकि सबसे बड़ी समस्या तो ये थी की यह समुद्र के बीचोंबीच स्थित है। लेकिन इसी के साथ खास बात तो ये थी कि डच लोग प्राचीन काल से ही जलीय निर्माण कार्यों में माहिर थे, इसलिये इस परियोजना की मुश्किले काफि हद तक सफल हो गई थी। आपको जानकारी दे दे कि उत्पादित ऊर्जा को छोटी-छोटी केबल्स के द्वारा कंवर्टर स्टेशंस को भेजा जाता है और फिर वहां से पावर ग्रिड स्टेशन को वह ऊर्जा ट्रांसफर कर दी जाती है।