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नया तारा आपने आपको इस तरह से करता है प्रकाशमान, जानिये रोमांचित कहानी

 

जयपुर। तारों के अंदर कई तरह की प्रक्रियायें होती रहती है जिससे कई तरह के तत्वों निर्माण होता है। आपको शायद इस बात का पता भी नहीं होगा कि तारों क् अंदर ही तत्वों का निर्माण होती है जो सोना-चाँदी लोहे जैसे धातुयें है वो तारे के अंदर ही बनती है जिनका उपयोंग हम कई तरह की वस्तुओँ कों बनना में काम लेते है। लेकिन आपने कभी सोचा है कि एक तारा किन किन स्थितियों से गुजर कर अपने आपको पूरा करता है। आपतो बता दे कि निहारिका के गैस और धूल भरे विशालकाय बादल से पुर्वतारा का निरमाण होती है जो कि बहुत ही बड़ा होता है

इसके बाद गुरुत्वाकर्षण बल इसे अंदर से छोटा और छोटा करने की कोशिश करता है इसके कारण से दबाव बढ़ते जाता है औक जैसे जैसे दबाव बढ़ता जाता है वैसे वैसे पूर्व तारा गर्म होने लगता है। इसका एक उदाहरण है कि आप जैसे साइकिल के ट्युब में जैसे ज्यादा हवा भरते है तो ट्युब गर्म होने लगती है। इसी तरह से यह अत्यधिक दबाव तारे का तापमान 10,000,000 केल्विन तक पहुंचता है और ताप इतना बढ़ जाता है कि नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है। अब पूर्व तारा एक सम्पूर्ण  तारे में बदल जाता है। वह अपने प्रकाश से प्रकाशित होना शुरू कर देता है

और सौर हवायें उसकी उपरी सतह से बचे हुये धूल और गैस को सुदूर अंतरिक्ष में धकेल देती है। जानकारी दे दे कि नव तारा जिसका द्र्व्यमान २ सौर द्रव्यमान से कम होता है उन्हे टी टौरी तारा कहते है और इससे बड़े तारे को हर्बीग एइ/बीइ  कहते है। ये  जो तारे होते है ये अपनी घूर्णन अक्ष की दिशा में गैस की धारा उत्सर्जित करते है जिससे संघनित होते ही नव तारे की कोणीय गति कम हो जाती है। इस उत्सर्जित गैस की धारा से तारे के आस पास के गैस के बादल के दूर होने में मदद मिलती है।