दूरबीन का आविष्कार एक बच्चे ने किया था
जयपुर। दूर की चीजे देखने के लिए सामान्यतया दूरबीन यानी टेलीस्कोप का उपयोग किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि दूरबीन का अविष्कार 17 वीं सदी की शुरुआत में एक बच्चे ने खेल खेल में किया था।
दरअसल दूरबीन का अविष्कार सही मायने में हेंस लिपरशी के शैतान बेटे ने खेल खेल में किया था। वह बालक दिन भर रंग बिरंगे कांचों से खेलता रहता था, और सूरज की रोशनी का चिलका डालकर सबको परेशान करता था। पापा की दुकान पर एक दिन उसने कई कांचों को आपस में मिलाकर इधर उधर देखने की कोशिश की थी। एक दिन यूंही खेलते हुए वह डर गया, क्योंकि उसने देखा सामने वाले गिरजाघर की मीनार एकदम उसके पास आ गई है। उसने समझा यह कोई जादू वाला काँच है। उसने इस बारे में अपने पापा को बताया। यह घटना देखकर हेंस लिपरशी भी हैरान रह गया।
आखिरकार हेंस लिपरशी को यह समझते देर नहीं लगी कि उसके बेटे ने एक दूरबीन का आविष्कार कर लिया है। सितंबर 25, 1608 को लिपरशी ने दूरबीन का पेटेंट अपने नाम करवा लिया। इस तरह दूरबीन का अनजाने में ही एक बच्चे ने आविष्कार किया था। हालांकि इस दूरबीन में उत्तल लेंस और अवतल लेंस दोनों इस्तेमाल किए गए थे।
इसके बाद गैलीलियो ने इस दूरबीन के बारे में सुनकर नये नये प्रयोग किए। गैलीलियो ने लिपरशी की दूरबीन को देखे बिना ही अपनी दूरबीन बनाने का निर्णय लिया। हम आपको बता दे कि लिपरशी की दूरबीन किसी भी वस्तू को सिर्फ 3 गुणा नजदीक ही दिखा सकती थी, मगर गैलीलियो ने एक से ज्यादा लेंस का प्रयोग करके दूरबीन का नया संस्करण बना दिया। यह दूरबीन किसी भी वस्तु को 20 से 30 गुणा पास दिखा सकती थी।