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यह नेट न्यूट्रैलिटी आखिर किस बला का नाम है? जानिए यहां पर

 

जयपुर। इन दिनों हर जगह इंटरनेट पर एक ही मुद्दा छाया हुआ है, नेट न्यूट्रैलिटी। जी हां, दोस्तों यह विषय काफी दिनों से चर्चा में है। हम आपको बता दे कि नेट न्यूट्रैलिटी का अर्थ है कि इन्टरनेट पर हर यूजर के साथ समानता का व्यवहार किया जाये। यानी कि अब इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगों को सोशल मीडिया, ईमेल, वॉइस कॉल, ऑनलाइन शॉपिंग और यूट्यूब वीडियो जैसी तमाम डिजिटल सुविधाओं का मजा उठाने के लिए इंटरनेट की एक समान स्पीड और एक्सेस मुहैया करवाई जाई।

यानी इंटरनेट पर भेदभाव को खत्म किया जाए। कई बार ऐसा होता है कि कोई मशहूर कंपनी की वेबसाईट तो फट से खुल जाती है, लेकिन एक आम वेबसाईट को खुलने में काफी देर लग जाती है। कहने का यही मतलब है कि सभी लोगों को एक जैसी ही इन्टरनेट स्पीड दी जाए। यानी इसे हम आभासी दुनिया में समानता का अधिकार कह सकते हैं।

बता दे कि नेट न्यूट्रैलिटी यानी इंटरनेट तटस्थता नामक यह शब्द पिछले दस सालों में ही चलन में आया है। इससे पहले कभी किसी ने इस बारे में सोचा ही नहीं था। इस सिद्धांत के तहत इंटरनेट सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियां इंटरनेट पर हर तरह के डाटा पैक को एक समान तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध करवाएंगी।

इंटरनेट सर्विस देने वाली कंपनियों में कई नामी टेलीकॉम ऑपरेटर्स भी शामिल हैं। हालांकि इन कंपनियों ने इस अभियान का पुरजोर विरोध किया है। लेकिन यूजर्स का यह तर्क हैं कि इन्हें ग्राहक से अलग अलग डाटा के लिए अलग-अलग कीमतें नहीं लेनी चाहिए। साथ ही सभी पोर्टल के लिए एक जैसी सेवाएं देनी चाहिए। हम आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हमारे देश में नेट न्यूट्रैलिटी लागू हो चुकी है।

जी हां, यहां पर अब सभी यूजर्स को एक समान स्पीड से नेट की सेवा मिल रही है। हालाँकि दिग्गज टेलीकॉम कम्पनियाँ सरकार पर नेट न्यूट्रैलिटी को ख़त्म करने का दबाव लगातार बनाए हुए हैं। फिर भी आम आदमी को यह सुविधा अब मिलने लग गई है। गौरतलब है कि हमारे देश में इस समय करीब 40 करोड़ लोगों के पास ही इंटरनेट की सेवाएं उपलब्ध हैं। इसे और बढ़ाने के लिए नेट न्यूट्रैलिटी की काफी ज्यादा जरूरत है।