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तो इस तरह से मानव का मस्तिष्क होता है लैब में तैयार

 

जयपुर। आख़िर मानव मस्तिष्कों की ये खेती प्रयोगशाला में बहुत की जा रही है। वैज्ञानिक कहते है कि मस्तिष्क बनाना कोई इतना कठिन कार्य नहीं, जितना देखने, सुनने में लगता है। दिमाग बनाने के लिए सबसे पहले कुछ कोशिकाओं की आवश्यकता है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में इन मस्तिष्कों को तैयार करने वाली टीम की प्रमुख हैं मैडेलीन लैंकेस्टर का कहना है इस काम के लिए नाक, जिगर, पैर के नाखून की कोशिकाएं ली जा सकती हैं। लेकिन इनमें से स्टेम कोशिकाओं को अलग करना होगा। क्योंकि इन कोशिकाओं द्वारा मानव के बदन के बाक़ी अंग विकसित किए जा सकते हैं।

यदि परखनली में पल रहे मस्तिष्कों को देखेंते है तो आपको एक कोमा के साइज़ का सफ़ेद डॉट नज़र आएगा। ये भ्रूण का मस्तिष्क होता है। आपने जिस स्टेम कोशिकाओं का इस्तेमाल मस्तिष्क विकसित करने में किया है। बता दे कि वो कुछ दिनों तक पोषक तत्व दिए जाने पर छोटी गेंदों जैसे दिखने लगते हैं। इन्हीं के बीच मस्तिष्क कोशिका या वो कोशिकाएं होती हैं जो आगे चलकर मस्तिष्क के तौर पर विकसित होती है। अगला पड़ाव होगा कि वैज्ञानिक इस गेंद जैसी चीज़ को खाना-पीना देना बंद कर देते हैं

क्योंकि इससे ज़्यादातर कोशिकाएं मर जाती हैं। मगर जिन कोशिकाओं से मस्तिष्क बनना होता है, उनमें संकट झेलने की शक्ति अधिक होती है। इसलिए वो मरने से बच जाती हैं। वैज्ञानिक बताते है कि यह एक ख़ास स्तर तक ये ब्रेन कोशिकायें विकसित हो जाती हैं फिर उन्हें एक जेली जैसे द्रव में डाल दिया जाता है। तीन महीनों में ये मस्तिष्क करीब चार मिलीमीटर का हो जाता है और इसमें क़रीब बीस लाख तंत्रिकाएं होती हैं। जो रीढ़ कि हड्डी से जूड़ी हुई होती है। और अंत में यह मस्तिष्क बन के तैयार हो जाता है।