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ज्यादा धूप में रहने से हो सकता हैं त्वचा का कैंसर

 

जयपुर। सूरज की रोशनी से निकली अल्ट्रावॉलेट किरणें त्वचा को नुक़सान पहुंचाती है और कैंसर के ख़तरे को बढ़ाता है। अल्ट्रावॉलेट किरणें पृथ्वी प्रवेश करती है क्योंकी ओजोन परत में प्रदूषण के कारण ब्लैक होल बन गये है। और यह किरणें इंसान की त्वचा को बहुत नुकसान पहुंचाती है।

येल विश्वविद्यालय का कहना है कि इस शोध से बेहतर सन स्क्रीन तैयार करने में मदद मिलेगी, जो त्वचा को नुक़सान से बचा सकती है। जब पराबैंगनी किरणें त्वचा की कोशिकाओं पर पड़ती हैं तो ये डीएनए में बदलाव लाती हैं। त्वचा के स्वाभाविक रंग के लिए ज़िम्मेदार मेलैनिन ही शरीर का वो रक्षा कवच है

जो विकिरण को सोखता है। शोधकर्ता प्रोफ़ेसर डगलस ब्रैश के अनुसार, सुपर ऑक्साइड और पेरॉक्सीनाइट्राइट बहुत उच्च ऊर्जा वाले कणों में टूटते हैं और इनमें बंधी ऊर्जा मुक्त होती है। “यह उसी प्रकार होता है जब जुगनू इस ऊर्जा को चमक पैदा करने के लिए मुक्त करते हैं।

मनुष्यों के मामले में यह ऊर्जा डीएनए के पास चली जाती है।” प्रयोगशाला में हुए परीक्षणों में पता चला कि पराबैंगनी किरणों के सम्पर्क में आने के चार घंटे बाद भी त्वचा को होने वाला नुक़सान जारी रहता है। सन प्रोटेक्शन फ़ैक्टर के सन स्क्रीन ही इस्तेमाल करना चाहिए।